आय से अधिक संपत्ति : शशिकला दोषी करार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

आय से अधिक संपत्ति : शशिकला दोषी करार

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नयी दिल्ली, 14 फरवरी, उच्चतम न्यायालय ने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने (डीए) के मामले में तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे जयललिता की सह-आरोपी वी के शशिकला एवं दो अन्य आरोपियों को आज दोषी करार दिया और बाकी की सजा पूरी करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ राय की पीठ ने इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए राज्य सरकार की अपील स्वीकार कर ली तथा शशिकला, इलावारसी एवं सुधाकरन को दोषी ठहराया। न्यायालय ने अन्नाद्रमुक की महासचिव शशिकला को तत्काल आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। पीठ ने कहा कि तीनों दोषियों को जेल की सजा की अवधि पूरी करनी होगी। कर्नाटक की विशेष अदालत ने जयललिता, शशिकला एवं दो अन्य आरोपियों को दोषी ठहराते हुए चार-चार साल कैद की सजा सुनायी थी, जिसे कर्नाटक उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया था। इसके खिलाफ कर्नाटक सरकार एवं अन्य याचियों ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटाखटाया था। शशिकला छह माह जेल काट चुकी हैं और उन्हें अब साढ़े तीन साल और कैद में बिताना होगा। शीर्ष न्यायालय के इस फैसले के साथ ही सुश्री शशिकला करीब दस साल तक सक्रिय राजनीति से अलग रहेंगी, क्योंकि लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार, सजा पूरी करने के छह साल बाद तक वह चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। सन 1991-1996 के बीच सुश्री जयललिता के मुख्यमंत्री रहते समय आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति (66 करोड़ रुपये) अर्जित करने के मामले में सितंबर 2014 में बेंगलुरु की विशेष अदालत ने शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को चार-चार साल की सजा और 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। इस मामले में शशिकला को उकसाने और साजिश रचने का दोषी करार दिया गया था, लेकिन मई 2015 में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सभी को बरी कर दिया था। इसके बाद कर्नाटक सरकार, द्रविड़ मुनेत्र कषगम के नेता के. अनबझगन और भारतीय जनता पार्टी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। इनकी दलील थी कि उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में अंकगणीतिय भूल की थी। शीर्ष अदालत ने चार महीने की सुनवाई के बाद पिछले साल जून में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उल्लेखनीय है कि डीए मामले की निष्पक्ष सुनवाई के लिए इसे कर्नाटक स्थानांतरित किया गया था।

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