- जर्सी माने सभी विदेशी हायब्रीड पशु भी बचेंगे ?
भारतमे हिंदु धर्म के लोग विदेशी पशु को गाय नहीं मानते प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथ के हिसाबसे देशी गाय के दुधमे वह औषधि तत्व है, हम गाय का नहीं विदेशी जानवर का दूध पी रहे है ऐसा है क्या ? गोवंश हत्त्या बंदी कानून अब सरकारने बनाया जबकी पहलेही अपनी देशी गोवंश बहोत सारा नष्ट हो गया है , तो इस कानुनसे अब इतना फायदा नही होनेवाला जितना कि पहले हो सकता था , अब तो देशमे ८० टक्का हायब्रीड / जर्सी / विदेशी पशु है तो उनकाही दूध सारा देश पी रहा है , जो सेहत के लिए सही है क्या ? तो उस विदेशी पशुको यह कानून का संरक्षण मिलेगा, तो इसे फायदा क्या होगा / हुआ ? अब देशी गाय तो केवल नाम के लिए कम संख्या मे बची है जिसे कानुनने नही लोगोने , किसानोंने सुरक्षित रखा है , तो और इस कानुनमे सोचकर बदलावं कि जरुरत है क्या ? मतलब यह बात मै ज्यादा खुलकर यहाँ नहि लिख पा रहा हू ? समजनेवाले समज जाए , कि कानून ऐसा चाहिए कि ''' कौनसा ? - - - पशु काटे तो चलेगा ? लेकिन देशी गोवंश सुरक्षित रहना चाहिए'' , मतलब अब यह कानुनसे विदेशी पशु कोही सुरक्षा मिल रही है , तो यह कानून बनाके देशी गोवंश कैसे बढेंगा ? तो कानून बनाके सब योजना / काम नही बनते अब लोगोने हि यह करना चाहिए कि क्रांती होनी चाहिए कि '' विदेशी / जर्सी हटाओ और देशी गाय बचाओ '' तोही
देशी गाय का संरक्षण और संवर्धन होगा ?, सरकारकी तो सारी दुग्ध योजना
विदेशी पशु बढानेकी है ?, तो देशी गोवंश कैसे सुरक्षित होगा ?, एक जगह ब्राझील देश है जहाँ अपनी भारतीय गोवंश कि अच्छी नसलो को वहा ले गये है और हजारॊकी संख्या मे संख्या बढाई है , क्योकी विदेशी पशुका दूध A1 अच्छा नहीं है ऐसा उनको पता चला तो A2 दूध देनेवाली गाय की संख्या को उन्होंने योजना विकसित की है. यह देखिए विडियो ब्राजीलके और वह अब ब्राज़ीलियन कही जाती है जबकि वह गोवंश ब्राज़ील देशने हमारे देशसे बड़ी बोटमे से ले गए है ऐसे पुराने विडियो भी नेटपर दीखते है। तो समजमे नहीं आता ऐसे देखे तो राजीव दिक्षित के सभी विडियो अगर हम देखे तो ऐसेही लगता है की जो जनता के हितमे है उसमेसे कई योजना सरकार क्यों नहीं ला रही है ? दुग्ध क्रांति तो हुई लेकिन कई साइंटिस्ट डॉक्टर बता रहे है की यह विदेशी पशु का दूध सेहत केलिए हानिकारक है ऐसे विडियो दिख रहे है तोभी सरकार क्यों देशको वह दूध पिला रही है ? और कुछ देशी वंश उसकी ३-४ पिढियोंके बाद वह भी ३५-४० लीटर दूध देती है और वह भी घातक नहीं अच्छा , A2 दूध लेकिन उसके पास किसीने ध्यान नहीं दिया है , तो असली दोषी कौन है ? और कानून बनाके किसको दिखावा दिखाया जा रहा है ? कानूनसे ज्यादा देशी गोवंश की रक्षा केलिए A2 दूध की माँग होनी चाहिए '' अब दूध क्रांति होगी तो ऐसी होनी चाहिए ''विदेशी पशु हटाओ देशी गोवंश बचाओ '' सब लोग एक महीना विदेशीका पशुका दूध पीना बंद करदे तोही देशमे देशी गोवंश सुरक्षित और संवर्धन होगा ?, उस घातक दूधसे बीमारिया silently बढ़ती है? , फिर मेडिकल कंपनिया मुनाफेमे चलती है ?, और देश की जनता बेहाल यह एक दुष्टचक्र में देश फस रहा है.? मतलब जिस कारन बीमारी हो रही है वह योजना वैसेही चालू है और बीचमे मैंने इसके बारेमे मिडिया को पूछा था की आप सच बात एक बार सबको बतादो की या दूध घातक है या नही ? तो एक बार पेपर में आया की यह बात अभी १०० टक्का सिद्ध हुई नहीं है ऐसा मामूली जवाब दिया है , तो फिर क्यों अन्य कई देशोंने यह विदेशी पशु देशसे घटाकर / पूरा निकालकर भारतीय गोवंश बढ़ाया है ? इसकी भी तो जानकारी लेनी होगी , और एक जगह विदेशी पशु रखने केलिए तुरंत बेरोजगार लोगोको कर्ज वगैरा मिल रहा है , तो वह बेरोजगार यही सोच रहा है की इसका दूध कैसा है मुझे क्या करना है , मुझे तो पैसा मिल रहा है बस , तो कैसे देशी गोवंश बचेगा ? तो हम गाय का नहीं विदेशी जानवर का दूध पी रहे है. और फिर इस विदेशी जानवर को गोवंश हम मानते होंगे तो कानून तो विदेशी पशु केलिए बन गया ना ? तो पहले वह देखना चाहिए की देशी गाय और विदेशी पशु की क्या व्याख्या क्या है, व्याख्या बनाई है या नही, यः सब डिटेल बाते newspaper मी भी नही आयी है , बस पेपर मे बताया ''गोवंश हत्त्या बंदी कानून लागु हो गया '' अब इसे कानून का दंडा नही लोक क्रांती का दंडा चाहिए और वह भी शांति के मार्गसे '' विदेशी पशु का दूध पिनाहि बंद करदो ?'' और वह भी कैसे एकसाथ सब देशवासी एक महिना सोचलो कि इस महिनेमे हम दूध पिना बंद कर देंगे? तो सरकार को देशी गोवंश पर काम करनाही पडेगा ?. अब इतना सारा देशी गोवंश नष्ट हुआ है तो फिरसे उसे बढ़ाने में समय तो लगेगा ना ? तो हो सकता है हमें / या सरकारको पाँच साल भी लग सकते है , लेकिन योजना तो शुरू होनी चाहिए ना ? ठीकसे ध्यान देंगे तो हमारा देशी गो वंश भी ३५-४० लीटर दूध देती है।
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