यूपी में जिस तरह पिछली सरकार में अपराध का बोलबाला था। अपराधियों को राजनीतिक खुला संरक्षण था। सड़क, पुल, नहर, बिल्डिंग से लेकर हर कल्याणकारी योजनाओं व निर्माणों में माफिया ठेकेदारों व बाहुबलियों का कब्जा था। चरणवंदन कर आइएएस अमृत त्रिपाठी व यादव सिंह जैसे भ्रष्ट अफसरों का तांडव और योजनाओं में बंदरबांट कर शीर्ष नेतृत्व की झोली भर रहा था, वह सब कायम रहेगा या नए सिरे से ईमानदार अफसरों के जरिए सबकुछ ठीक-ठाक करने का प्रयास होगा। बेशक, अगर योगी जी कुछ नया करना चाहेंगे तो चुनौतियां तो होंगी, लेकिन यह चुनौती उस वक्त सहज होगी जायेगी जब अपने कार्यकर्ताओं पर नकेल कसते हुए चापलूसों व दलालों से दूर रहेंगे। खासकर मंत्रियों व पार्टी पदाधिकारियों की हर गतिविधि पर पैनी निगाह होगी
यह सोलहों आना सच है कि गड़बड़ी अपनों से ही होती है। खासकर उन चहेतों से जो आपके नजदीकी होने का हवाला देंकर भ्रष्ट अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग कराते हैं। राज्य मुख्यालय से लेकर जिलास्तर तक अपने मनमाफिक दरोगाओं व पुलिसिया नियुक्तियां कराते हैं। जाहिर है ज बवह नियुक्तियां करायेंगे तो अफसर उसकी सुनेंगे ही और यहीं से शुरु होता है काली कमाई का खेल। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या हिंदुत्व के नायक योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नक्शे-कदम पर चलकर सभी विभागीय अफसरों-मंत्रियों, विधायकों व पार्टी कार्यकर्ताओं पर कंट्रोल करेंगे या फिर सबकुछ वैसे ही होने देना चाहते है जैसा होता रहा हैं। हो जो भी, अपनी नीतियों के जरिये देश-प्रदेश खासकर यूपी की व्यवस्था के ‘काया-कल्प‘ के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आंकाक्षी हैं, से इंकार नहीं किया जा सकता। वह चाहते है उनके सपनों के नये भारत में ‘सभी के लिए अवसर‘ उपलब्ध हों। मोदी चाहते है कि 2022 तक जब देश अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा हो तो भारत का हर नागरिक रामराज्य महसूस करें। यह तभी संभव है जब यूपी खुशहाल हो, अपराध व भ्रष्टाचार मुक्त हो। वैसे भी भाजपा और मोदी के एजेंडे में राजनीतिक वर्चस्व को मजबूत करने के लिए विकास ही अहम मुद्दा है।
योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के पद पर आसीन कर मोदी ने साफ जता दिया है कि हिंदुत्व व विकास आज भी उसका सबसे प्रमुख राजनीतिक तत्व है और इससे परहेज की बात तो दूर, उसे इस राह पर और आगे बढ़ना है। यह सही है कि आलोचनाओं और कमियों के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी अपनी सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के प्रति जनता के बड़े हिस्से में भरोसा बनाने में कामयाब रहे हैं। विपक्ष की कमजोर स्थिति और उसकी राजनीतिक इच्छाशक्ति के ह्रास ने भी मोदी को अपनी बढ़त स्थापित करने में मदद दी है। मोदी और भाजपा को यह पता है कि सिर्फ आक्रामक राजनीति से जीत नहीं हासिल की जा सकेगी क्योंकि आर्थिक विकास के मोर्चे पर असफलता मतदाताओं को उनसे दूर सकती है। अर्थव्यवस्था में संतोषजनक प्रगति के बावजूद रोजगार सृजन के मामले में उपलब्धियां निराशाजनक हैं। ऐसे में यूपी की जनता की आशाओं को विकास की वास्तविकताओं में परिवर्तित करने हेतु योगी सरकार को कटिबद्ध होना ही होगा। यह सही है शपथ लेने के बाद योगी ने माना है कि ‘‘बेहतर शासन-प्रशासन चलाना उनके समक्ष बड़ी चुनौती होगी। संकल्प पत्र जल्द से जल्द लागू करवाना काफी अहम होगा। पब्लिक में भी पैठ बनानी होगी।
राज्य में बिजली की हालत अब भी बेहद खराब है। यूपी की तुलना में कहीं ज्यादा बदहाल रहा पड़ोस का राज्य बिहार कम से कम सड़कों और बिजली के क्षेत्र में बेहतर होने लगा है। लेकिन यूपी की हालत सुधर नहीं रही। 2007 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 22 घंटे बिजली देने का वादा किया था। लेकिन हकीकत यह है कि बीएसपी राज में सिर्फ अंबेडकर पार्कों और लखनऊ-बुलंदशहर को बिजली मिली, जबकि समाजवादी पार्टी की सरकार में इटावा, सैफई और लखनऊ को। पूरब का मैनचेस्टर कहा जाने वाला कानपुर हो या पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उद्योग बहुल केंद्र मेरठ, नोएडा या गाजियाबाद, उन्हें पर्याप्त बिजली नहीं मिली। आंकड़ों के मुताबिक राज्य को 25 हजार मेगावाट बिजली रोजाना चाहिए, लेकिन राज्य के बिजली उत्पादन केंद्रों से महज ढाई हजार मेगावाट बिजली ही बन पाती है। जाहिर है कि मांग और उत्पादन का यह अंतर दस गुने से भी ज्यादा का है। बीजेपी की तरफ से बिजली राज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी चुनाव की कमान संभाली थी। अब उनके निर्देशन में नई सरकार को इस मोर्चे पर भी कदम बढ़ाने की जरूरत होगी।
बीजेपी ने कानून-व्यवस्था को भी बड़ा मुद्दा बनाया था। राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 2015 में सूबे में हत्या के सबसे ज्यादा 4732 मामले दर्ज किए गए। बलात्कार के मामलों में सूबा 3025 मामलों के साथ दूसरे नंबर पर रहा। लचर कानून-व्यवस्था के लिए नौकरशाही में जातियों के आधार पर तैनाती भी बड़ी वजह रही है। एसपी राज में अफसरों से लेकर थानेदारों के स्तर पर एक खास जाति की तैनाती होती रही है तो बीएसपी राज में दूसरी खास जाति के लोगों को मौका मिला। बीजेपी सरकार को नौकरशाही और प्रशासन के इस जातीय कुचक्र को तोड़ना होगा। समाजवादी पार्टी भले ही अल्पसंख्यकों की हितैषी होने का दावा करती रही हो, लेकिन उसके राज में चार सौ से ज्यादा सांप्रदायिक दंगे हुए। बीजेपी सरकार के लिए शांति और सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखना भी एक बड़ा काम होगा। इसके साथ बदहाल शिक्षा व्यवस्था, घोटालों और बदहाली के बीच जूझती स्वास्थ्य सेवा, जमीनों पर बिल्डर लॉबी का कब्जा, स्थानीय लोकतंत्र से दूर नोएडा समेत कई चुनौतियां राज्य की नई सरकार के सामने हैं। शिक्षा को सुधारे बिना राज्य के विकास की नई तस्वीर की तो उम्मीद भी नहीं की जा सकती। देखना है, यूपी की नई सरकार इन चुनौतियों से किस तरह जूझती है। उसके प्रदर्शन से बीजेपी की भावी राष्ट्रीय राजनीति की दिशा काफी हद तक निर्धारित होगी। अगर योगी आदित्यनाथ और उनकी टीम ने बेहतर कार्य किए तो बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश को एक मॉडल के रूप में पेश करेगी।
बुंदेलखंड के लिए कुछ नया करना होगा। क्योंकि दूसरी पार्टियों की सरकारों ने प्रदेश की जनता को लूटा है। हमारी प्राथमिकता कानून-व्यवस्था कायम करना और विकास कार्यों को तेजी से लागू करना है‘‘। वाकई में अगर योगी जी इन चुनौतियों को लेकर संजीदा एवं जग है तो कायाकल्प होने में देर नहीं लगेगी। फिरहाल, मोदी ने जो भी वादे किए हैं, उसे योगी को हरहाल में पूरा करने ही होंगे। यूपी को कुपोषण की कैटिगरी से निकालना ही होगा। पुलों के निर्माण, शहरों की ट्रैफिक व्यवस्था, सड़कों के निर्माण में हो रही धांधली, योजनाओं में बंदरबाट रोकनी ही होगी। गुंडे-बदमाशों को थानों में शरण मिलने के बजाय सलाखों में भेजवाना होगा और इन्हें संरक्षण देने वाले अधिकारियों को निपटाना ही होगा। खासकर ऐसे पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों पर नकेल कसनी होगी जो थानों व कार्यालयों में बैठकर कार्रवाईयां करते हैं। वही पुराने रोजनामचे में दर्ज अपराधियों जो अब तक सुधर चुके है, पर कार्रवाई कर अपनी बहादुरी झलकाने लगते है जबकि असली अपराधी घटनाओं को अंजाम दर अंजाम देते रहते हैं। कुल मिलाकर योगी जी को शहर से लेकर गांवों तक में विकास की गंगा बहेाना होगी। मोदी की तर्ज पर भ्रष्टाचार समाप्त करना होगा। विकास कार्यों को प्राथमिकता देनी होगी। अधूरे कामों को भी पूरा करने होंगे।
रोजगार के अवसर मुहैया कराने होंगे। केंद्र व सूबे की हर योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करानी होगी। उद्योग धंधो का जाल बिछाना होगा। महिलाओं की सुरक्षा के कड़े बंदोबश्त करने होंगे। जो थाने गुंडों के अड्डा हुआ करते थे, वहां कानूनराज कायम कराना होगा। स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करनी होगी। मुस्लिम और दलित वोटरों में विश्वास पैदा करना होगा। बाहुबली की छवि से सरकार को मुक्त कराना होगा। जनता से सीधा संवाद करना होगा। पुलिस की बिगड़ैल छवि को दुरुस्त करना होगा। पेयजल और सड़क की व्यवस्था के साथ अवैध बस्तियों को नियमित करवाना होगा। क्योंकि अब लोगों में विकास की आस जगी है। राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 2015 में सूबे में हत्या के 4732 मामले तो बलात्कार के 3025 मामले दर्ज किए गए। इसमें कमी लानी होगी। किसानों की कर्ज माफी और गन्ना किसानों के बकाये के भुगतान के वादे को पूरा करना होगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा गन्ना किसान रहते हैं। आंकड़ों के मुताबिक यूपी के 58.2 फीसद किसान परिवार कर्ज में डूबे हैं। इनमें से ज्यादातर छोटी जोत वाले हैं। सूबे के एक किसान परिवार पर औसतन 27 हजार 984 रुपये का कर्ज है, जबकि राष्ट्रीय सैंपल सर्वे के मुताबिक राज्य के 44 फीसद किसान कर्ज में हैं। इसके चलते पिछले दस साल में 31 लाख किसानों ने खेती छोड़ दी है। क्योंकि खेती के लिए उन्हें उचित माहौल नहीं मिला। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का अभाव बना हुआ है। आलू और सब्जी उपजाने वाले किसान हर साल ही अपनी उपज को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर होते हैं। जाहिर है कि इन किसानों का कर्ज माफ करना नई सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।
(सुरेश गांधी)
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