पटना। आज एकता परिषद,बिहार का एक षिष्ट्रमंडल महामहिम राज्यपाल रामनाथ कोविंद से मिला। बिहार में लगातार भूमि सुधार के लिए एकता परिषद के द्वारा उठाये गये मुद्दों पर कार्यवाही करने करने का आग्रह किया। इस पत्र में 5 मुद्दों को दर्षाया गया है। गैर कृषि ग्रामीण आवासहीन परिवारों को वास के लिए भूमि, शेष भूदान भूमि का आंवटन, भूमि दखल देहानी, भूमि सुधार आयोग की अनुसंषा पर कार्यवाही और वनाधिकार मान्यता कानून का क्रियान्वयन। इस पर महामहिम रामनाथ कोविंद ने कहा कि 5 सूत्री मुद्दे को मुख्यमंत्री नीतीष कुमार के पास अग्रसारित कर देंगे। इस पत्र के माध्यम महामहिम को ध्यान आकृष्ट किया गया कि जनसंगठन एकता परिषद द्वारा प्रदेष में भूमि सुधार के लिए उठाये गये मुद्दों पर कार्यवाही करने की जरूरत है। महात्मा गांधी के चम्पारण सत्याग्रह की सौंवी वर्षगांठ के अवसर पर एकता परिषद बिहार के द्वारा प्रदेष में वंचित समुदाय के भूमि समस्याओं के समाधान के लिए डा. राजगोपाल पी.व्ही. के नेतृत्व में नौबतपुर से पटना तक सत्याग्रह पदयात्रा करने जा रही है। 24 मार्च को नौबतपुर से शुरू और 25 मार्च को गर्दनीबाग,पटना में अंत। यह भी बताया गया कि वर्ष 2012 में ग्वालियर से दिल्ली की ओर जनसत्याग्रह आंदोलन में एक लाख भूमिहीनों की कूच होने पर आगरा में ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार और जनसत्याग्रह के मुखिया डा. राजगोपाल जी के बीच भूमि सुधार के 10 बिंदुओं पर लिखित में समझौता हुआ। इसके आलोक में 20 मार्च, 2013 को ग्रामीण विकास मंत्रालय के द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री को भूमि सुधार के लिए परामर्ष दिये गये थे। जो लागू नहीं हो सका।
भूमि सुधार के मुद्दे निम्न प्रकार हैं जिन पर कार्यवाही किया जाना न्यायोचित है-
गैर कृषि ग्रामीण आवासहीन परिवारों को वास के लिए भूमि- प्रदेष के 5.84 लाख गैर कृषि ग्रामीण आवासहीन परिवारों में प्रत्येक परिवार को महिला के नाम पर कम से कम 10 डेसीमल भूमि आबंटित करने की व्यवस्था करना। शेष भूदान भूमि का आंवटन- बिहार भूदान यज्ञ कमेटी को 2,32,139 दानपत्रों के माध्यम से 6,48,593 एकड़ भूमि दान में मिली। इसमें 1,03,485 एकड़ भूमि अभी भी ‘अयोग्य भूमि में सम्पुष्ट भूमि श्रेणी‘ के अंतर्गत शेष बची हुई हैं, जिसकों ग्रामीण गरीब भूमिहीनों के बीच आंबटित करने की व्यवस्था करना। भूमि दखल देहानी- आजादी के बाद से राज्य में अब तक 23,77,763 परिवारों को भूमि का पर्चा दिया गया। बिहार में आपरेशन भूमि दखल देहानी के अंतर्गत चालू की गयी प्रक्रिया में मात्र 16,75,720 परिवार काबिज पाये गये जबकि 1,47,226 परिवारों को कब्जा नहीं मिला और 5,54,817 परिवारों के बारे में रिकार्ड और भूमि की जानकारी नहीं मिली। कब्जा विहिन परिवारों का जमीन के कब्जे की व्यवस्था करना और गुम हुए रिकार्ड और परिवारों की जांच कराकर कब्जा दिलाना। भूमि सुधार आयोग की अनुसंषा पर कार्यवाही- बिहार सरकार के द्वारा श्री डी. बंधोपाध्याय की अध्यक्षता में गठित भूमि सुधार आयोग की रिपोर्ट में- क. बटांईदार हित-के उत्पादन खर्च वहन करने की स्थिति में बंटाइदारों को उत्पादन का 70 से 75 फीसदी हिस्सा और भूस्वामी के उत्पादन व्यय में सहयोगी बनने की हालत में बंटाईदारों को 60 फीसदी हिस्सा देने की सलाह दी गई। ख. भूमि हदबंदी और अतिषेष भूमि का आंबटन-सीलिंग कानून में सुधार की वकालत करते हुए कहा गया कि कृषि तथा गैर कृषि भूमि के बीच अंतर खत्म किया जाना चाहिए। इसने 5 सदस्यों वाले एक परिवार के लिए 15 एकड़ सीलिंग निर्धारित करने तथा 1950 से विद्यमान मठों, मंदिर, चर्च सहित तमाम धार्मिक संस्थानों के लिए भी 15 एकड़ की सीलिंग निर्धारित की। 15 एकड़ सीलिंग मानकर आयोग ने यह निष्कर्ष निकाला कि बिहार सरकार अनुमानित रूप से लगभग 20.95 लाख जमीन हासिल कर पाएगी। रिपोर्ट कहती है कि 2001 की जनगणना के आधार पर 2007 में गणना करने पर लगभग 56.55 लाख कृषि मजदूर थे। इनमें से 16.68 लाख लोग सबसे निचले पायदान पर हैं। यदि एक एकड़ के हिसाब से भी इनको जमीन दी जाए तो यह आंकड़ा 16.68 लाख एकड़ तक पहुंचता है। कोई समस्या पैदा होने की हालत में इसे एक एकड़ से घटाकर 0.66 एकड़ किया जा सकता है। इसके आधार पर लगभग 10.30 लाख एकड़ जमीन की जरूरत पड़ेगी। वनअधिकार मान्यता कानून का क्रियान्वयन- वनअधिकार मान्यता कानून 2006 के अंतर्गत प्रदेष में 8022 दावे दाखिल किये गये जिसमें से मात्र 121 दावे को मान्य करते हुए वनअधिकार दिया गया। कई गावों में ठीक तरह से कार्य नहीं किया गया है। इसलिए वनअधिकार मान्यता कानून की समीक्षा कर निरस्त किये गये दावों पर पुनर्विचार करना और प्रक्रिया को प्रभावी तरीके से लागू करने की व्यवस्था करना।
षिष्टमंडल का नेतृत्व पूर्व सांसद संजय पासवान ने किया। इनके साथ एकता परिषद के प्रदेष संयोजक वषिष्ठ सिंह, एकता परिषद के नेषनल एडवोकेटर अनिल कुमार गुप्ता आदि थे। महामहिम से मिलने के बाद एकता परिषद के प्रदेष संयोजक वषिष्ठ सिंह ने बताया कि हमलोगों ने मधप्रदेष की तरह आवासीय भूमिहीनों के लिए कालबद्ध कानून की तरह ही बिहार में भी आवास के लिए निष्चित समय सीमा के अंदर आवासीय भूमिहीनों को 10 डिसमिल जमीन दी जाए।
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