असम की युवा गायिका नाहिद आफरीन को गाने से रोकने के प्रयास मुस्लिम मौलानो ने किया फतवा उन्होने जारी किया पर देश का बुद्धिजीवी हिन्दू संगठनों को कोसने में लगा है। आरोप वही रटा रटाया असहिष्णुता फैलाई जा रही है। समुदायों के बीच वैमनस्य, हिंसा और घृणा का माहौल जमीनी स्तर पर कौन फैला रहा है इसे देख कर भी आँखे बंद करे बैठे देश के कई बुद्धिजीवियों और नेताओं को अपना अस्तित्व ही हिन्दुओं को मूर्ख बना अपने नियंत्रण में करने और उन पर अपनी बोतों को थोपने से ही रहा है। लगातार विश्व भर में आंतक में एक समुदाय प्रमुखता से छा रहा है। कई देशों के लोग डर में जी रहे है पर यहां पर उस पर चर्चा करने या उन्हे अपराधी मानने से ही डरते कई लोग अपने देश अपनी संस्कृति से जी रहे हिन्दुओं को बदनाम करने के हजारों कारण गिना रहे है। मजहबी सियासत की राजनीति करते हुये अरबपति बन गये लोगों को कुछ भी कहने से डरते और विदेशों में भ्रमण कर देश के भुखे नंगे लोगो पर रोब डालते लोगो का समूह हमेशा से ही हिन्दुओं को डरा कर अपना सामराज्य मजबूत करने में लगा रहता है।
जड़ और जमीन से कटे पढ़े लिखे लोगों अपने ही विचारो के आत्ममंथन को तैयार नहीं है पर खुद सुविधाओं में जरा सी भी कमी होते ही संगठनों को कोसने में हमेशा तैयार रहते है। खुद ही जनपदों के वजूद को खत्म कर आज उसी के न होने का रोना रो रहे है। विकास के नाम पर कोई सलाह न दे सत्ता अपने मन मुताबिक लोगो के हाथ में देने और देश को हमेशा गरीब रखने की सोच वाले ये लोग हिन्दू संगठनों को कोस कर अपना प्रचार प्रसार विश्व में करने में लगे रहते है। सबसे दुखद तो ये है के देश का हिन्दू ही इन बुद्धिजीवियों और नेताओं का मूर्खता पूर्वक अनुकरण करता रहता है क्योकि वह बेरोजगारी और भूखमरी में केवल शांत जीवन जीने को ही अपना कर्तव्य मानता है जिसका फायदा हमेशा से ही उठाया जाता रहा है। धर्म निरपेक्षता और समान व्यवहार केवल हिन्दुओं को सिखाने वाले कभी सुधरेगे भरोसा नही!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें