पटना। आखिरकार उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अल्पसंख्यक कार्ड खेला ही। चुनाव पूर्व नारा ‘टिकाऊ और जिताऊ’ को दरकिनार किया। 1 मुसलमान और 1 सिख समुदाय को मंत्री परिषद में शामिल किया। वहीं ईसाई समुदाय को ठेंगा दिखा दिया। इस ओर ईसाई समुदाय को विचार करना चाहिए। बीजेपी के साथ मुस्लिम हैं और नेता भी हैं। मगर बीजेपी के साथ ईसाई समुदाय नहीं हैं। खैर, सीएम योगी आदित्यनाथ ने अल्पसंख्यक कोटे से मुसलमान और सिख समुदाय को प्रतिनिधित्व दिया है। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को क्लिीन आउट कर रखा है। यूपी विधान सभा में शीघ्र ही किसी एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रतिनिधि को मनोनीत कर विधायक बना दें। किसी आयोग का अध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान करें। जानकारी के अनुसार अगड़ों की भागीदारी में ब्राहृमण 7,ठाकुर 8,वैश्य 4, भूमिहार 2,खत्री 3, कायस्त 1। पिछड़ों की हिस्सेदारी में कुर्मी 3, मौर्य 2, लौध 2, जाट 2, राजभर 2, यादव 1, नोनिया चैहान 1, सैनी 1, निषाद 1 । दलितों का प्रतिनिधित्व कोरी 2, पासी 1, धोबी 1 व बघेल 1। अल्पसंख्यक सिख 1 और मुसलमान 1 को मंत्री बनाये हैं। अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय को अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष पद देकर सुशोभित करें। इस संदर्भ में अखिल भारतीय ईसाई महासंघ से परामर्श किया गया है। महासंघ ने शीघ्र ही मांगों की सूची यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ को पेश करेंगे। इसमें ईसाइयों से संबंधित समस्याओं को भी रखा जाएगा।
बुधवार, 22 मार्च 2017
उत्तर प्रदेश : सीएम योगी आदित्यनाथ का अल्पसंख्यक कार्ड
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