भाजपा द्वारा गोवा और मणिपुर में जिस तरस से सरकर बनाने का कदम उठाया कांग्रेस घबरा गई जैसे उनके द्वारा उठाई जाती चालों को कोई और कैसे अपना सकता है। इस पर तो उनका ही सर्वाधिकार है कि गलतफहमी में रहते नेताओं को अपना इतिहास भले ही याद न रहे पर जनता को तो याद रह ही जाता है। जो शिक्षा दी गई आज उसका उपयोग अन्य दल कर रहा है तो जलन किस बात की और अगर वह शिक्षा ही गलत थी तो शर्मिंदी की जगह अकड क्यो?
जोड़तोड का आरोप लगाने वाले नेता कई सालों से जोड़तोड़ की राजनीति करते नही थके पर आज सत्ता हाथ नही आ रही तो उन्हे बुराई दिख रही है। बिहार और दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार पर किसी ने नही कहा ईवीएम में खराबी करी गई है। उत्तर प्रदेश में हारे तो ईवीएम में गड़बड़ी दिख रही है। आप के नेता अब चुनाव आयोग को सीटे निलाम करने की बात कर रहे है। जीते तो चुनाव आयोग ईमानदार हारे तो बईमान। हार को हार न मानने की भूल करते आज के नेता कुछ ही सालों में रसातल पर पँहुच रहे है पर वे सत्ता सुख की आश में केवल अपनी कुंठा का निवारण कर राजनीति में लगे रहते है।
कांग्रेसी जनो ने ही इस विचारधारा को बल दिया था कि जब भी देश में गैर-कांग्रेसी सरकार रहेगी, देश को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। अटल जी ने पहली बार इस मथक को तोड़कर एक बढ़ते भारत का नक्शा दिखाया था जिसे उस समय में कांग्रेसियों के द्वारा ही गलत कहा गया पर आज वे ही उसे अच्छा मान अटल जी की बढ़ाई और मोदी की बुराई में लगे हुये है। राष्ट्र की एकता एवं अखंडता के लिए अपनी ही विचारों से देखते हिन्दू संगठनो को कोसते आज के कांग्रेसी अल्पसंख्यकों के सामने नतमस्तक हो यह मान बैठे है कि भावुक हिन्दू तो उनकी मुट्ठी में है ही अतः सत्ता उनकी ही रहेगी। इस बार जब हिन्दुओं ने एक होकर मत दिया तो हिन्दू संगठनों की तौहिन करने वाले बौखला गये, जो बयानों से झलक रहा है। इतिहास याद नही रखने वाले जल्द इतिहास बन जाते है यह सच है।
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