- नौबतपुर से पटना तक एकता परिषद का सत्याग्रह पदयात्रा
पटना। सूबे के चम्पारण में वर्ष 1917 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के द्वारा किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए किया गया आंदोलन देष का पहला सत्याग्रह था। जिसके फलस्वरूप ब्रिटिष सरकार की शोषणवादी नील खेती की तीनकठिया व्यवस्था से किसानों को छुटकारा मिला। इस सत्याग्रह के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर देष भर के तमाम संगठन और सरकार चम्पारण सत्याग्रह की सौंवी वर्षगांठ कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। इसी क्रम में गांधीवादी जनसंगठन एकता परिषद के द्वारा वासभूमि अधिकार के लिए सत्याग्रह पदयात्रा 24 से 25 मार्च, 2017 तक की गयी है। इस तरह के सत्याग्रह से बिहार के 6 लाख आवासीय भूमिहीनों के अधिकार की आवाज उठाने का प्रयास है।
बिहार में भूमि से जुड़ी कुछ जानकारी
भूमि का असमान वितरण-बिहार में जमीन के मालिकाने वाले समुदाय के लगभग 96.5 फीसदी लोग सीमांत और छोटे किसान हैं, जिनके पास कुल जमीन का लगभग 66 फीसदी है। वहीं महज 3.5 फीसदी छोटे और मध्यम किसानों के पास लगभग 33 फीसदी जमीन है। इसमें भी बड़ी जोत वाले महज 0.1 फीसदी जमींदारों के पास 4.63 फीसदी जमीन का मालिकाना है। (एन.एस.एस.ओ. की सर्वेक्षण रिपोर्ट 191, 2003)
शारीरिक आकस्मिक श्रम से आय कमाने वाले श्रेणीवार भूमिहीन परिवारों की संख्या
राज्य व श्रेणीवार
कुल ग्रामीण परिवार
भूमिहीन परिवारों की संख्या जो शारीरिक आकस्मिक श्रम से आय कमाते हैं
प्रतिशत
बिहार
17829066
9773733
54.82%
अनुसूचित जाति
3019662
2304711
76.32%
अनुसूचित जनजाति
286393
164219
57.34%
महिला नेत्त्व
1735780
965069
55.60%
दिव्यांग
1100712
562892
51.14%
बिहार के कुल एक करोड़ अठहत्तर लाख उनतीस हजार छियासठ परिवारों के 54 फीसदी परिवार सन्तान्नबे लाख तिहत्तर हजार सात सौ तैंतीस भूमिहीन हैं। जिसमें अनुसूचित जाति के 76 फीसदी, अनुसूचित जनजाति के 57 फीसदी हैं। श्रोत - सामाजिक आर्थिक व जाति गणना, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार 2011 भूमिहीनता-राज्य के कुल 17829066 (एक करोड अठहत्तर लाख उनतीस हजार छाछठ) परिवारों में 65.58 फीसदी 11692246 (एक करोड़ सोलह लाख बयान्बे हजार दो सौ छियालीस) परिवार भूमिहीन हैं।
संदर्भ-आर्थिक, सामाजिक व जाति सर्वेक्षण 2011।
शेष भूदान भूमि-बिहार भूदान यज्ञ कमेटी को 232139 दानपत्रों के माध्यम से 648593 एकड़ भूमि दान में मिली। इसमें 103485 एकड़ भूमि अभी भी अयोग्य भूमि में सम्पुष्ट भूमि श्रेणी के अंतर्गत शेष बची हुई हैं, जिसकों भूमिहीनों के बीच वितरित किया जाये। भूमि दखल देहानी-बिहार में आपरेशन भूमि दखल देहानी के अंतर्गत आजादी के बाद से राज्य में अब तक 23,77,763 परिवारों को भूमि का पर्चा दिया गया था किंतु उसमें से मात्र 16,75,720 परिवार काबिज पाये गये जबकि 1,47,226 परिवारों को कब्जा नहीं मिला और 5,00,564 परिवारों के बारे में रिकार्ड और भूमि की जानकारी नहीं मिली। अभियान बसेरा-2014 में महादलित एवं सुयोग्य श्रेणी (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ पिछड़ा वर्ग अने.1 व अने.2) के वासभूमि रहित परिवारों का सर्वे कर निर्धारित समय सीमा के अंदर वास योग्य 5 डिसमिल वास भूमि प्रत्येक परिवार को उपलब्ध कराने के उद्देष्य से प्रारंभ किया गया ‘अभियान बसेरा’ के अंतर्गत 1,00,268 परिवारों को चिन्हित किया गया जिसमें 42,400 परिवारों को वास भूमि प्रदान की गयी और 57,868 परिवार शेष रह गये। जबकि बिहार में लगभग 6 लाख परिवार बिल्कुल आवासीय भूमिहीन हैं और इनको भूमि सुधार आयोग के द्वारा 10 डिसमिल भूमि देने की अनुसंषा की गयी है। वनअधिकार मान्यता कानून के अंतर्गत कुल 8022 दावे दाखिल हुए जिसमें से मात्र 121 परिवारों को वनाधिकार दिया गया है।
वर्ष 2006 में बिहार में श्री डी.बध्ंाोपाध्याय की अध्यक्षता में गठित भूमि सुधार आयोग की रिपोर्ट 2009 के मुताबिक- बंटाईदारों के हित में कानून बनाने की अनुसंषा की गई और कहा गया कि बटांईदार के उत्पादन खर्च वहन करने की स्थिति में बंटाइदारों को उत्पादन का 70 से 75 फीसदी हिस्सा और भूस्वामी के उत्पादन व्यय में सहयोगी बनने की हालत में बंटाईदारों को 60 फीसदी हिस्सा देने की सलाह दी गई। सीलिंग कानून में सुधार की वकालत करते हुए कहा गया कि कृषि तथा गैर कृषि भूमि के बीच अंतर खत्म किया जाना चाहिए। इसने 5 सदस्यों वाले एक परिवार के लिए 15 एकड़ सीलिंग निर्धारित करने तथा 1950 से विद्यमान मठों, मंदिर, चर्च सहित तमाम धार्मिक संस्थानों के लिए भी 15 एकड़ की सीलिंग निर्धारित की। 15 एकड़ सीलिंग मानकर आयोग ने यह निष्कर्ष निकाला कि बिहार सरकार अनुमानित रूप से लगभग 20.95 लाख जमीन हासिल कर पाएगी। रिपोर्ट कहती है कि 2001 की जनगणना के आधार पर 2007 में गणना करने पर लगभग 56.55 लाख कृषि मजदूर थे। इनमें से 16.68 लाख लोग सबसे निचले पायदान पर हैं। यदि एक एकड़ के हिसाब से भी इनको जमीन दी जाए तो यह आंकड़ा 16.68 लाख एकड़ तक पहुंचता है। कोई समस्या पैदा होने की हालत में इसे एक एकड़ से घटाकर 0.66 एकड़ किया जा सकता है। इसके आधार पर लगभग 10.30 लाख एकड़ जमीन की जरूरत पड़ेगी।
पदयात्रा की मांग
गैर कृषि ग्रामीण आवासहीन परिवारों को वास के लिए भूमि- प्रदेष के 5.84 लाख गैर कृषि ग्रामीण आवासहीन परिवारों में प्रत्येक परिवार को महिला के नाम पर कम से कम 10 डिसमिल भूमि आवंटित करने की व्यवस्था करना।
शेष भूदान भूमि का आवंटन- बिहार भूदान यज्ञ कमेटी को 2,32,139 दानपत्रों के माध्यम से 6,48,593 एकड़ भूमि दान में मिली। इसमें 1,03,485 एकड़ भूमि अभी भी ‘अयोग्य भूमि में सम्पुष्ट भूमि श्रेणी‘ के अंतर्गत शेष बची हुई हैं, जिसकों ग्रामीण गरीब भूमिहीनों के बीच आंबटित करने की व्यवस्था करना। भूमि दखल देहानी- आजादी के बाद से राज्य में अब तक 23,77,763 परिवारों को भूमि का पर्चा दिया गया। बिहार में आपरेशन भूमि दखल देहानी के अंतर्गत चालू की गयी प्रक्रिया में उसमें से मात्र 16,75,720 परिवार काबिज पाये गये जबकि 1,47,226 परिवारों को कब्जा नहीं मिला और 5,00,564 परिवारों के बारे में रिकार्ड और भूमि की जानकारी नहीं मिली। कब्जा विहिन परिवारों का जमीन के कब्जे की व्यवस्था करना और गुम हुए रिकार्ड की जांच कराना। भूमि सुधार आयोग की रिपोर्ट की अनुसंषा को लागू करना।
वनअधिकार मान्यता कानून का क्रियान्वयन- वनअधिकार मान्यता कानून 2006 के अंतर्गत प्रदेष में 8022 दावे दाखिल किये गये जिसमें से मात्र 121 दावे को मान्य करते हुए वनअधिकार दिया गया। कई गावों में ठीक तरह से कार्य नहीं किया गया। इसलिए वनअधिकार मान्यता कानून की समीक्षा कर निरस्त किये गये दावों पर पुनर्विचार करना और प्रक्रिया को प्रभावी तरीके से लागू करने की व्यवस्था करना। ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा 20 मार्च 2013 को मुख्यमंत्री बिहार को भूमि सुधार के लिए भेजी गयी एडवाइजरी पर कार्यवाही करना।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें