अयोध्या, 21 मार्च, देश की राजनीतिक दिशा बदल देने वाले अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद काे सुलह समझौते से हल किये जाने के उच्चतम न्यायालय के सुझाव का एक ओर जहां स्थानीय लोगों ने तहेदिल से स्वागत किया है, वहीं दूसरी ओर इस मामले से जुडे पक्षकारों ने इस पेशकश को स्वीकारने से इंकार दिया। अस्सी के दशक से मंदिर-मस्जिद आन्दोलन का दंश झेल रहे अयोध्या और उसके आपसपास के बाशिन्दे इस मसले का जल्द हल चाहते हैं। हल चाहे बातचीत से हो या न्यायालय से, पर मामला जल्दी सुलट जाये। वर्ष 1990 में कारसेवकों पर चली गोली में अपने बेटे राजेन्द्र धरकार को खोने वाले रमेश कहते हैं,“अब बहुत हो चुका। मसले का हल निकलना ही चाहिए। इस विवाद ने अयोध्या को काफी पीछे धकेल दिया।” उधर, मामले के पक्षकारों विश्व हिन्दू परिषद, निर्मोही अखाडे और बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमेटी का कहना है कि मामला काफी आगे बढ गया है। सभी पक्षों को भरोसा है कि जीत उन्ही की होगी इसलिए वे सुलह समझौते की संभावना से सीधे इनकार करते हैं। उनका कहना है कि मामला अब काफी आगे बढ गया है। इसलिए यह मामला अब न्यायालय से ही हल हो सकता है। विश्व हिनदू परिष्द इसक हल का एक और रास्ता संसद से कानून बनाकर भी बताते हैं, लेकिन बातचीत से मसले के हल की संभावना को सिरे से खारिज करते हैं।
मंगलवार, 21 मार्च 2017
अयोध्या : पक्षकारों को मंजूर नहीं उच्चतम न्यायालय का सुझाव
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