नयी दिल्ली 22 मार्च, उत्तरप्रदेश समेत पांच राज्यों में हाल में हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों पर सन्देह जाहिर करते हुए राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने आज कहा कि सरकार चुनाव आयोग को मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए जरुरी ‘वोटर वेरिफाइड पेपर आडिट ट्रेल’ मशीनें खरीदने में जानबूझ कर सहयोग नहीं कर रही है जिससे चुनाव सुधार करने की उसकी नीयत पर शक होता है। श्री आजाद ने सदन में चुनाव सुधारों पर अल्पकालिक चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि चुनाव पिछले ढाई -तीन साल में सरकार को 12 पत्र लिख चुका है जिसमें वह वोटर वेरिफाइड पेपर आडिट ट्रेल खरीदने के लिए राशि की मांग रहा है। इनमें से 11 पत्र कानून मंत्रालय और एक पत्र करीब तीन महीने पहले प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखा गया है। लेकिन इसपर सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनावों में ईवीएम के जरिए गडबडी की आशंका व्यक्त करते उन्होंने कहा कि वोटर वेरिफाइड पेपर आडिट ट्रेल मशीनों से ईवीएम में संभावित गडबडी को रोका जा सकता है। अगर इन मशीनों का इस्तेमाल किया जाता तो भारतीय जनता पार्टी मात्र 100 सीटों पर सिमट जाती। उन्होंने कहा कि अगर सरकार चुनाव आयोग को ट्रेल मशीनें उपलब्ध नहीं कराती है तो आगामी चुनावों में मतदान के लिए मतपत्रों के जरिए कराया जाना चाहिए। श्री आजाद ने कहा कि चुनाव खर्च पर अंकुश लगाने के लिए राजनीतिक दलों के खर्च का ब्यौरा मांगा जाना चाहिए और उसे संसद के पटल पर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए राष्ट्रीय दलों और क्षेत्रीय दलों के लिए अलग अलग सीमा तय की जा सकती है।
बुधवार, 22 मार्च 2017
चुनाव सुधारों के लिए सरकार की नीयत पर शक : आजाद
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