नयी दिल्ली, 24 अप्रैल, उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में पुलिसकर्मियों के खाली पड़े पदों पर भर्तियों से संबंधित राज्य सरकार का रोडमैप आज स्वीकार कर लिया। राज्य सरकार ने मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष एक रोडमैप रखा, जिसके तहत अगले चार वर्ष तक प्रति वर्ष करीब 33 हजार सिपाहियों और दरोगाओं की भर्ती किये जाने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि राज्य पुलिस में खाली पड़े पदों को 2021 तक भरा जा सके। पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को प्रतिवर्ष करीब 3,000 सब-इंस्पेक्टर और 30,000 कॉन्स्टेबल की भर्ती करने के आदेश दे दिए। भर्ती को मंजूरी दिये जाने के साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि अगर भर्ती में देरी होती है, तो इसके लिए प्रधान सचिव और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी दोषी होंगे। शीर्ष अदालत ने गत सप्ताह कहा था कि विभिन्न राज्यों के पुलिस महकमों में पांच लाख 52 हजार पद पद खाली हैं, जिन्हें जल्द ही भरे जाने की जरुरत है। पुलिसकर्मियों की सबसे ज्यादा कमी उत्तर प्रदेश में है, जहां 1.5 लाख पद रिक्त हैं जबकि 3.5 लाख कांस्टेबल और अधिकारियों की क्षमता स्वीकृत है। न्यायालय ने पुलिस महकमों में रिक्त पदों पर भर्ती से संबंधित तमिलनाडु और कर्नाटक सरकार का रोडमैप भी स्वीकार कर लिया। पीठ ने दोनों राज्य सरकारों से कहा कि वे भर्ती की प्रक्रिया तय समय पर पूरी करें। न्यायालय ने बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की सरकारों को भी निर्देश दिया कि वे उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक की तरह ही अपनी भर्ती योजना उसके समक्ष पेश करे। न्यायालय ने गुजरात, तेलंगाना और राजस्थान के गृह सचिवों को एक मई को व्यक्तिगत तौर पर अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।
सोमवार, 24 अप्रैल 2017
उत्तर प्रदेश में 2021 तक प्रतिवर्ष 33 हजार पुलिस भर्तियां होंगी
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