नयी दिल्ली, 14 अप्रैल, सिर पर मैला ढोने वाली हजारों महिलाओं को सस्ती और सुलभ शौचालय तकनीक से इस अमानवीय प्रथा से मुक्ति दिलाकर उनकी जिंदगी बदलने वाले सुलभ संस्था के संस्थापक डॉ बिदेश्वर पाठक को आज यहां सम्मानित किया गया । वंचित समुदाय के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाकर समाज में परिवर्तन करने में डाक्टर पाठक के योगदान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने के लिए न्यूयार्क के मेयर बिल डे ब्लासियो ने 14 अप्रैल 2016 को ‘डॉ़ बिंदेश्वर पाठक दिवस ’घोषित किया था । इस दिवस के उपलक्ष्य में यहां आयोजित कार्यक्रम में अफ्रीकी देश माली के राजदूत नियांकोरो येह सामाके ने डाॅ़ पाठक को सम्मानित किया । डाॅ़ पाठक ने सस्ती शौचालय तकनीक के जरिए सैकड़ों साल से चली आ रही सिर पर मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने की दिशा में बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने ऐसे लोगों को कौशल विकास की ट्रेनिंग देकर उनकी जिंदगी बदल ली । सस्ते शौचालयों से उन्होंने पर्यावरण की रक्षा में भी अहम योगदान दिया । कार्यक्रम में पीली साड़ी पहने सिर पर मैला ढोने की प्रथा से मुक्त करायी गयीं महिलाएं तथा सफेद लिबास में लिपटी विधवाएं बड़ी संख्या में मौजूद थीं । सुलभ संस्था परिवार इन परित्यक्त विधवाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रहा है । इस मौके पर बाबा नीम करोली आश्रम के बाबा चंद्र शंकर दास , लेखक एवं निदेशक अविनाश दास, कवि एवं पत्रकार सुरेश नीरव आैर समाजशास्त्री प्रोफेसर बी के नांगला भी मौजूद थे ।
शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017
स्वच्छता के क्षेत्र में योगदान के लिए बिंदेश्वर पाठक सम्मानित
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