नयी दिल्ली, 18 अप्रैल, भारतीय खेलों के इतिहास में दृष्टिहीन सागर बहेती ने एक गौरवशाली अध्याय जोड़ते हुए बोस्टन मैराथन पूरी कर इतिहास रच दिया। वह इस मैराथन में हिस्सा लेने वाले पहले दृष्टिहीन भारतीय भी हैं। बेंगलुरु के रहने वाले बहेती की यह उपलब्धि इस मायने में खास है कि इस मैराथन के लिए क्वॉलीफाई करना बेहद मुश्किल और प्रतिस्पर्धी है। सागर ने शारीरिक अक्षमता की सभी मुश्किलों को पार कर यह मुकाम हासिल किया है। बहेती ने 42.16 किमी की इस मैराथन को महज चार घंटे में ही पूरा कर लिया। बहेती को इस ऐतिहासिक मुकाम तक पहुंचते देखने के लिये उनके माता-पिता विश्वकांता और नरेश बहेती भी यहां मौजूद थे। 31 साल के सागर बहेती दौड़ में हिस्सा लेने वाले पहले दृष्टिहीन भारतीय हैं। एक पुराने कॉलेज के दोस्त और बॉस्टन निवासी देविका नारायण की मदद से उन्होंने यह मुश्किल मैराथन पूरी की। मैराथन में 30 हजार प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। बहेती की यह सफलता इसलिये भी मायने रखती है कि यह मैराथन इस दशक की दूसरी सबसे गर्म मौसम की मैराथन रही।
मंगलवार, 18 अप्रैल 2017
दृष्टिहीन सागर ने बोस्टन मैराथन पूरी कर रचा इतिहास
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