नयी दिल्ली 23 अप्रैल, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में कथित गड़बड़ी को लेकर उठे बवाल के बीच चुनाव अायोग ने ईवीएम में लगाने के लिये मतदान के बाद पर्ची देने वाली 16 लाख 15 हज़ार वोटर वेरिफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रायल (वीवीपीएटी) मशीनें खरीदने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। आयोग ने भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स निगम लिमिटेड (ईसीआईएल) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) को अलग -अलग आशय पत्र भेजे हैं और प्रत्येक को आठ लाख साढ़े सात हज़ार वीवीपीएटी मशीनों की आपूर्ति हासिल करने की मंशा व्यक्त की है। इस खरीद की अनुमानित लागत लगभग 3173.47 करोड़ रुपये होगी। आयोग ने कहा है कि ये मशीनें उसे सितंबर 2018 तक प्राप्त हो जानी चाहिये ताकि 2019 के आम चुनावों के पहले ये मशीनें ईवीएम में लगाई जा सकें। वीवीपीएटी मशीन ये दोनों कंपनियां ही बनातीं हैं। इन्हें आयोग ने एक तकनीकी विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों पर विकसित किया गया है। चुनाव आयोग इन मशीनों के विनिर्माण एवं समय पर आपूर्ति के लिये निगरानी रखेगा। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम ज़ैदी ने इस कदम के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और मतदाताओं को यह जानने का अधिकार सुरक्षित होगा कि उन्होंने जिस पार्टी या व्यक्ति को वाेट दिया है, उसे मिला है या नहीं। इससे मतदाताओं का स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के प्रति भरोसा बढ़ेगा। उच्चतम न्यायालय के आदेश और आयोग की सिफारिशों के अनुरूप सरकार ने 19 अप्रैल को 16 लाख 15 हज़ार वीवीपीएटी मशीनों की खरीद के लिये 3147.47 करोड़ रुपये स्वीकृत किये थे।
रविवार, 23 अप्रैल 2017
चुनाव आयोग ने 16 लाख 15 हज़ार वीवीपीएटी मशीन खरीद की प्रक्रिया शुरू की
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