पटना 20 अप्रैल, सूचना प्रौद्योगिकी ने लोगों के विचारों को व्यापकता प्रदान करने के साथ ही जहां रोजगार के नये अवसर उपलब्ध कराये हैं वहीं आज यह मानव तस्करी का सबसे बड़ा औजार बनकर भी उभरा है।सोशल नेटवर्किंग साइट के साथ ही अन्य ऑनलाइन माध्यमों के जरिये विदेशों में रोजगार दिलाने का झांसा देकर तो कभी इसके जरिये ही परवान चढ़े प्रेम के बाद शादी करने के झांसे में आकर अपना घर-बार छोड़ने की जिद्द से मानव तस्करी के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। कोलकाता स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास, गैर सरकारी संगठन शक्ति वाहिनी और बंगलानाटक डॉटकाॅम की पहल पर मानव तस्करी के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से शुरू हुए विशेष वाहन 'कारवां' के आज राजधानी पटना पहुंचने पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुये शक्ति वाहिनी के संस्थापक ऋषिकांत ने कहा कि पूरे देश में हो रही मानव तस्करी में इंटरनेट एक बड़ा औजार बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि बिहार में भी संगठित गिरोह द्वारा इंटरनेट के जरिये झांसा देकर मानव तस्करी का धंधा फल-फूल रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तरी बिहार खासकर नेपाल की सीमा से लगे जिलों में ऑनलाइन माध्यमों के जरिये ही प्रेम के बहाने शादी का झांसा देकर लड़कियों की तस्करी हो रही है। साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और अब जम्मू कश्मीर के लड़के बिना दहेज लिये यहां की लड़कियों से शादी कर रहे हैं, जो मानव तस्करी का ज्वलंत उदाहरण है। वहीं दक्षिणी बिहार में खासकर बालश्रम करवाने के लिए बच्चों की तस्करी की जाती है।
ऋषिकांत ने मानव तस्करी पर लगाम लगाने के लिए बिहार सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुये कहा कि बिहार से बच्चों एवं महिलाओं को रोजगार दिलाने और शादी का झांसा देकर अन्य राज्यों में ले जाया जाता है। पुलिस की मदद से उन्हें छुड़ाया भी जाता है लेकिन केवल इतने भर से काम नहीं चलेगा। मुक्त कराये गये बच्चों एवं महिलाओं के पुनर्वास के साथ ही मानव तस्करी के धंधे में लिप्त गिरोह का खात्मा भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि पिछले चार- पांच साल में बिहार में मानव तस्करी के मामलों में कमी आई है लेकिन इस अनुपात को शून्य पर लाने के लिए गंभीरता से काम करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि बिहार में मानव तस्करी के खिलाफ व्यापक स्तर पर जागरुकता फैलाने के लिए अमेरिकी वाणिज्य दूतावास, शक्तिवाहिनी और बंगलानाटकडॉटकॉम के संयुक्त प्रयास से 12 से 13 मई को राजधानी पटना में एक कॉनक्लेव का आयोजन किया जाएगा, जिसमें अमेरिकी वाणिज्य दूत क्रेग एल. हाॅल के साथ ही देश-विदेश के विशेषज्ञ एवं गैर सरकारी संगठन शामिल होंगे। इस अवसर पर श्रम आयुक्त गोपाल मीणा ने कहा कि मानव तस्करी के मामले में गवाह नहीं मिलने के कारण दोषियों को सजा नहीं मिल पाती। इसके लिए लोगों को निर्भीक होकर उनके आस-पास होने वाली ऐसी वारदातों की जानकारी पुलिस को देनी होगी। उन्होंने कहा कि अच्छी नौकरी पाने की लालच में भी लोग बिचौलियों के झांसे में आ जाते हैं। उन्हें न तो उस देश के कानून की जानकारी होती है और न ही उस बिचौलिये की पृष्ठभूमि। ऐसे में अभियान चलाकर लोगों को जागरूक बनाने की जरूरत है।
श्री मीणा ने कहा कि मुक्त कराये जाने वाले बच्चाें, बच्चियों और महिलाओं का सही तरीके से पुनर्वास करा पाना भी एक बड़ी चुनौती है। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिशा-निर्देश में गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने पिछले वर्ष मुक्त कराये गये प्रत्येक बच्चों को 25 हजार रुपये देने की घोषणा की थी और अबतक 674 बच्चों के खाते में सावधि जमा के रूप राशि भेजी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि इन लोगों के पुनर्वास के लिए विशेष प्रशिक्षण केंद्र भी खोले जाएंगे ताकि इनका कौशल विकास किया जा सके। वहीं, बिहार राज्य बाल संरक्षण सोसाइटी के सुनील कुमार झा ने मुक्त कराये गये बच्चों एवं बच्चियों के पुनर्वास के लिए सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदम का उल्लेख करते हुये कहा कि वर्ष 2013 में जहां राज्य में केवल तीन बालगृह थे वहीं आज इसकी संख्या बढ़कर 27 पर पहुंच गई है, जिसमें नौ बालगृह केवल बच्चियों के लिए है। इसके अलावा राज्य में केवल एक वर्ष में 100 परित्यक्त बच्चों को गोद लेकर उन्हें पर्याप्त संरक्षण देने का प्रयास किया गया है। श्री झा ने कहा कि राज्य में कुल 48 प्रखंडाें को चिन्हित किया गया है, जहां के मुक्त कराये गये बच्चों की दुबारा तस्करी कर दी गई। इन प्रखंडों को एक गैर सरकारी संगठन ने गोद लिया ताकि यहां दुबारा होने वाली तस्करी के मामले पर लगाम लगाने के लिए कड़ी निगरानी की जा सके। वहीं जीविका की प्रोगाम कॉर्डिनेटर महुआ राय चौधरी ने कहा कि वर्तमान में जीविका सदस्यों की राज्य की 70 लाख महिलाओं तक पहुंच है। जीविका का काम केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सबल बनाना ही नहीं बल्कि इन्हें बाल विवाह, दहेज, शिक्षा एवं स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक बनाना है। जीविका के तहत चलाये जाने वाले कार्यक्रमों से मानव तस्करी पर लगाम लगाने में मदद मिल रही है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें