प्रद्योत कुमार,बेगुसराय। दुनियां में हर एक चीज़ जितना उपयोगी होता है अगर थोड़ा सा उन उपयोगी चीज़ों पर से नियंत्रण हटा लिया जाय तो उसका साइड इफ़ेक्ट भी उतना ही ज़्यादा होता है और साइड इफ़ेक्ट का असर किसी भी हाल में अच्छा नहीं होता है।अभी का सबसे नायाब आविष्कारक ज़रूरत है इंटरनेट जिसके फायदे तो कई हैं लेकिन इंटरनेट को मुफ़्त और सस्ता करके "जियो"सरकार ने भाजपा से मिलकर इसका बेइंतहां साइड इफ़ेक्ट बढ़ा दिया है,फलस्वरूप प्रतिफल ये हुआ कि युवा पीढ़ी जिसको समझ कम है या समझ है भी तो दिनरात एक सूत्रीय मोबाइल इंटरनेट कार्यक्रम में व्यस्त रहता है,पढ़ाई और भविष्य तो खैर साइडिफेक्ट के सागर में कब का डूब चुका है।सच मानिये तो मोबाइल इंटरनेट का ड्रग्स से भी ज़्यादा ख़तरनाक एडिक्शन है।इससे एडिक्टेड युवाओं का कोई इलाज़ भी नहीं है। खासकर "जियो सरकार" के द्वारा फैलाये गए इस मीठा ज़हर का असर संपूर्ण भारत गणराज्य में बुरी तरह हो रहा है,यह एक नया वायरस है जो वायरल हो चुका है।सबसे बड़ी बात ये है कि इस ज़हर का कोई "एंटीडोट" भी नहीं है।इस ज़हर को फैलाने में वर्तमान मोदी सरकार ने जम कर साथ दिया है।प्रत्येक आदमी अपने आस पास देखकर यह अनुभव कर सकते हैं कि हर युवा 24 घंटे में लगभग 08 से 10 घण्टे मोबाइल इंटरनेट में व्यस्त रहता है।बढ़ते उम्र के अधिकांश बच्चे साइबर क्राइम ही करते हैं जैसे,पॉर्न या एडल्ट साइट पर लगे रहना,भीम,पे फोन या अन्य कई ऐसे साइट को प्रमोट कर नाजायज़ तरीके से कमीशन का रुपये कमाना वैगेरह।इस तरह की चीज़ो से ज़रूरत का काम कम हो रहा है।सरकार को चाहिए कि सिम कार्ड कनेक्शन को और इंटरनेट को इतना महंगा तो अवश्य कर दे कि सिर्फ ज़रूरतमन्द या व्यवसायिक लोग ही इसका उपयोग कर सकें तब जाकर होगा इसका सही उपयोग और बचेगा देश के युवाओं का भविष्य।"जियो" से पहले युवाओं में दीवानगी थी और अब "जियो सरकार" के कारण युवाओं में पागलपन आ गया है।
गुरुवार, 20 अप्रैल 2017
बेगुसराय : दीवानगी अच्छी बात है,पागलपन नहीं
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