आखिरकार भारत की ओर से भगोड़ा घोषित किए गए शराब कारोबारी विजय माल्या लंदन में गिरफ्तार कर लिए गए, लेकिन मात्र तीन घंटे की अवधि के अंदर ही उनको जमानत मिलना कई प्रकार के सवाल खड़े कर रहा है। पहला तो यह कि जिस प्रकार से उन्होंने अधिकारियों को रिश्वत देकर बैंकों से ऋण प्राप्त किया, क्या यह गिरफ्तारी उसी प्रकार का खेल मानी जा सकती है? इसका उत्तर हालांकि संदेह के घेरे में कहा जा सकता है, फिर भी प्रथम दृष्टया यह सवाल भी आता है कि क्या यह दिखावे की गिरफ्तारी मात्र उनके प्रबंधन का खेल है? लेकिन फिर भी यह सच है कि विजय माल्या ने बैंकों के माध्यम से जो खेल खेला, वह भारत की गरीब जनता की गाढ़ी कमाई पर डाका डालने जैसा कृत्य ही कहा जाएगा। हालांकि यह कार्यवाही लंदन की कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत की गई है, इसलिए लंदन की दृष्टि में सवाल बनता है या नहीं, यह साफ नहीं कहा जा सकता।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मामले में साफ शब्दों में कहा है कि भ्रष्टाचार के लिए भारत में कोई जगह नहीं है। विजय माल्या ने जिस प्रकार से जनता के पैसे का दुरुपयोग किया है, उसको वापस करना ही होगा। वास्तव में भारत की बैंकों को मजबूती प्रदान करने के लिए देश की गरीब और मध्यम वर्ग की जनता का भरपूर योगदान है। विजय माल्या जैसे व्यापारियों ने इस योगदान का अपने हित में दुरुपयोग किया। बैंकों से ऋण लेकर उसे तय समय में वापस नहीं करने पर बैंक द्वारा कार्यवाही करने का प्रावधान हैै, जब इस कार्यवाही का प्रारंभ होने वाला था, उससे पहले ही विजय माल्या भारत छोड़कर लंदन भाग गए और अपने आपको बचाने का भरपूर प्रयास किया।
कहा जाता है कि अपराध करने वाला व्यक्ति कितना भी अपना बचाव करले, लेकिन एक न एक दिन वह पकड़ा जाता है। अचानक लंदन में विजय माल्या की गिरफ्तारी की खबर आई और थोड़ी देर बाद जमानत की भी खबर आ गई। गिरफ्तारी और जमानत मिलने के बाद सोशल मीडिया पर विजय माल्या के बारे में तमाम प्रकार के सवाल खड़े होने लगे कि क्या माल्या को सरकार वापस भारत ला पाएगी। हालांकि सरकार की ओर से कहा गया कि किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा और अभी प्रक्रिया तो पूरी होने दीजिए। मुश्किल है लेकिन संभव है। संभव इसलिए भी कहा जा सकता है कि ब्रिटेन के साथ भारत का प्रत्यर्पण संधि है। गिरफ्तारी के मामले से माल्या के विरोध में प्रत्यर्पण की कार्रवाई की शुरूआत हो गई लेकिन ये प्रत्यर्पण के नौ चरणों में से पहला चरण ही है। इसमें विजय माल्या को अपील करने के तीन अवसर मिलेंगे। माल्या के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग, लोन डिफॉल्ट समेत कई मामले चल रहे हैं। भारत सरकार ने ब्रिटिश उच्चायोग के जरिए माल्या के प्रत्यर्पण का अनुरोध भेजा था। ब्रिटिश सरकार के मुताबिक बहुराष्ट्रीय कनवेंशन और द्विपक्षीय संधियों के तहत ब्रिटेन दुनिया के करीब 100 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि रखता है। इनमें भारत कैटेगरी 2 के टाइप बी वाले देशों में शामिल है। भारत जिस श्रेणी में है, उसमें शामिल देशों से आने वाले आग्रह पर फैसला ब्रिटेन का विदेश मंत्रालय और अदालतें, दोनों करते हैं। इस प्रकार की संधि के तहत चलने वाली प्रकिया में लम्बा समय लग सकता है। इस पूरी प्रक्रिया के बाद भी व्यक्ति के पास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का अधिकार रहता है। कुल मिलाकर माल्या के भारत लौटने का रास्ता काफी जटिल और लंबा है।
यहां पर सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि भारत का हर बड़ा अपराधी अपराध करने के बाद विदेश में जाना क्यों चाहता है? इसका उत्तर यही हो सकता है कि वहां का कानून भारत के अपराधी को अपराधी नहीं मानता, क्योंकि इसमें प्रत्यर्पण संधि की शर्त काम करती है। भारत की कई देशों से प्रत्यर्पण संधि भी नहीं है। इसी कारण अपराधी वहां पूरी शान के साथ जिन्दगी व्यतीत कर सकता है। देश के बैंकों का नौ हजार करोड़ रुपए के करीब कर्ज दबाकर बैठा विजय माल्या भारत सरकार व यहां के लोगों का लगातार मजाक बना रहा है। भारत का अपराधी होने के बावजूद उसका व्यवहार इस तरह है, जैसे कि वह भारत पर कोई अहसान कर रहा है। अब वह ट्वीटर पर कह रहा है कि वह भारतीय बैंकों के साथ सेटलमैंट करने के लिए तैयार है। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि वह पूरा धन वापस करने के मूड में नहीं है। इतना ही नहीं, जितना धन वह भारतीय बैंकों को लौटाएगा, वह एक तरह से उसका बड़प्पन है। देश का यह आर्थिक भगौड़ा ब्रिटेन की गोद में बैठकर भारतीय कानूनों का मजाक उड़ा रहा है। अपना व्यवसाय सही तरह न चलाने व ऋण को पहले दिन से नहीं मोड़ने की नीयत वाला माल्या अब राजनेताओं को इस सबके लिए दोषी ठहरा रहा है। दरअसल उसने नेताओं, अफसरों की भ्रष्टता का लाभ उठाते हुए भारतीय जनता की खून-पसीने की कमाई को बैंक लोन के माध्यम से हड़प लिया। अन्यथा यह संभव नहीं था कि मामूली गारंटी के बदले माल्या को अरबों रुपए का ऋण मिल जाता। माल्या की तरह ही सहारा समूह व पर्ल्ज जैसी चिटफंड कंपनी, शारदा चिटफंड जैसी कंपनी भी हजारों-लाखों करोड़ का गबन किए बैठे हैं। इनमें सहारा व पर्ल्ज के मुखिया हालांकि जेल में पहुंच चुके हैं, लेकिन आम देशवासी का जो अरबों रुपया ये डकारे बैठे हैं, उसकी वापसी होगी या नहीं, इसका कोई सटीक उत्तर किसी के पास नहीं है। माल्या पहले डिफाल्टर बना, फिर विदेश भागा और वहां पर एक उद्योगपति के जैसा जीवन जी रहा है।
लंदन भागने के बाद विजय माल्या ने अपने आपको दिवालिया घोषित करने की योजना बनाई। उसने अपने आपको ऐसा प्रचारित किया कि उपका सारा व्यापार चौपट हो गया है। कुछ इसी प्रकार के तर्क देकर हर अपराधी अपने आपको बचाने का प्रयास करता है। हालांकि सरकार ने अपनी ओर से हर संभव यह प्रयास किया है कि माल्या पर शिकंजा कसा जाए। इसके तहत भारत सरकार ने पिछले साल मई में ब्रिटेन से कहा था कि माल्या को लौटा दिया जाए क्योंकि उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है। ब्रिटिश सरकार का कहना था कि उनके यहां रहने के लिए किसी के पास वैध पासपोर्ट होना जरूरी नहीं, लेकिन क्योंकि माल्या के खिलाफ गंभीर आरोप हैं, इसलिए उनके प्रत्यर्पण पर विचार किया जाएगा।
ऐसे अपराधियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है, जो आर्थिक अपराधी हैं, देशद्रोही हैं, भारत में मानवता के विरूद्ध कइयों ने अपराध किए हैं। केन्द्र सरकार को इस दिशा में तेजी से काम करना होगा, क्योंकि कई अपराधियों को देश छोड़कर भागे दशकों हो गए हैं, लेकिन भारत को वह आज भी वांछित हैं। अत: विदेशों के साथ प्रवर्तन संधियों की पूरी प्रक्रिया को आसान बनाया जाए और तमाम जटिलताएं खत्म कर देश छोड़ भागे अपराधियों को दंड दिया जाए। विजय माल्या की गिरफ्तारी के बाद अब सबका ध्यान इस बात पर है कि क्या मोदी सरकार माल्या को भारत ला पाएगी। माल्या के देश छोड़ने के बाद विपक्ष ने मोदी सरकार पर करारा हमला बोला था। सरकार ने ऐलान किया था कि विजय माल्या को वापस लाया जाएगा। भारत ने ब्रिटेन से माल्या को लाने के लिए कूटनीतिक चैनल का भी इस्तेमाल किया और ब्रिटेिश सरकार को चिट्ठी भी लिखी थी। अब गिरफ्तारी के बाद सरकार सारी प्रक्रियाओं को पूरा कर माल्या को वापस लाने की कोशिश करेगी।
सुरेश हिन्दुस्थानी,
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लक्ष्मीगंज, लश्कर ग्वालियर, मध्यप्रदेश
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(लेखक वरिष्ठ स्तंभ लेखक व राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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