अंकारा/इस्तांबुल, 18 अप्रैल, यूरोपीय देशों की ओर से तुर्की में राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियाें को बढ़ाए जाने को लेकर हुए जनमत संग्रह की आलोचना करने को राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगन ने पश्चिमी देशों की कथित ‘समाजसुधारक मानसिकता’ बताते हुए उसकी कड़ी निंदा की है। इससे पहले जनमत संग्रह में विजयी होने के बाद इस्तांबुल में अपने अाधिकारिक आवास में श्री एर्दोगन ने कहा कि जनमत संग्रह में जीत के बाद सरकार में सैन्य हस्पक्षेप के तुर्की के लंबे इतिहास का रास्ता हमेशा के लिये बंद हो गया है। उन्होंने कहा “हमारे पक्ष में 2.5 करोड़ वोट मिले जो विरोधी खेमे से 13 लाख ज्यादा है।” उन्होंने कहा, “तुर्की ने अपने इतिहास में पहली बार इस तरह के एक महत्वपूर्ण बदलाव पर संसद और लोगों की इच्छा का निर्णय लिया है। तुर्की गणराज्य के इतिहास में पहली बार हम नागरिक शासन के माध्यम से अपनी सत्तारूढ़ प्रणाली को बदल रहे हैं। यही कारण है कि यह बहुत महत्वपूर्ण जनमत संग्रह है।” वहीं तुर्की में मुख्य विपक्षी दल रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (सीएचपी) के प्रमुख केमाल किलिकडारोग्लू ने भी जनमत संग्रह की वैधता पर सवाल खड़े किए हैं। श्री किलिकडारोग्लू ने कहा कि जिन लोगों ने पक्ष में वोट डाला है ऐसा हो सकता है कि उन्होंने कानून की सीमाओं से परे जाकर जनमत संग्रह का समर्थन किया हो। उन्होंने कहा“ हमारी पार्टी को जब यह पता चला था कि बिना मोहर लगे मतपत्रों की गिनती हो रही है तो हमने पहले ही 60 प्रतिशत वोटों की दोबारा गिनती की मांग की थी। इस परिणाम के बाद निरंकुशता को बढ़ावा मिलेगा।” उल्लेखनीय है कि जनमत संग्रह में जीत हासिल करने के बाद श्री एर्दोगन अब नये नियमों के तहत अधिकतम 2029 तक राष्ट्रपति बने रह सकते हैं।विपक्षी दलों ने श्री एर्दोगन पर तुर्की में तानाशाही लागू करने के आरोप लगाए हैं। नाटो देश तुर्की की सीमा ईरान, इराक और सीरिया से सटी हुए हैं जिसके कारण यहां स्थिरता और शांति बनाए रखना अमेरिका और यूरोपीय संघ दोनों के लिए ही महत्वपूर्ण है। इसी बीच, व्हाइट हाउस ने एक वक्तव्य जारी करके बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने श्री एर्दोगन को फोन करके जनमत संग्रह में विजयी होने पर बधाई दी है। श्री ट्रम्प ने सीरिया में अमेरिकी मिसाइल हमले का समर्थन करने के लिए अपना आभार व्यक्त भी किया। वक्तव्य के अनुसार श्री ट्रम्प और श्री एर्दोगन के बीच सीरिया में रासायनिक हमले के लिए राष्ट्रपति बशर अल-असद को जिम्मेदार ठहराने को लेकर भी सहमति बन गई है। दोनों नेताओं के बीच इस्लामिक स्टेट के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर भी बातचीत हुई।
मंगलवार, 18 अप्रैल 2017
जनमत संग्रह की आलोचना पश्चिमी देशों की विकृत मानसिकता : एर्दोगन
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