नयी दिल्ली, 25 अप्रैल, उच्चतम न्यायालय ने साबरमती एक्सप्रेस रेलगाड़ी विस्फोट कांड की साजिश रचने के आरोपी एवं हिजबुल मुजाहिदीन के कथित कार्यकर्ता गुलजार अहमद वानी को इस वर्ष एक नवम्बर से जमानत पर रिहा कर देने का आज आदेश दिया। साबरमती एक्सप्रेस रेलगाड़ी में 2000 में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर विस्फोट हुआ था और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के पूर्व शोध छात्र वानी पर आरोप है कि इसने इस विस्फोट कांड की योजना बनायी थी। मुजफ्फरपुर से अहमदाबाद जा रही साबरमती एक्सप्रेस में उस वक्त विस्फोट हुआ था, जब यह कानपुर के नजदीक थी। इस विस्फोट में दस व्यक्तियों की जान चली गयी थी। मुख्य न्यायाधीश जी एस केहर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड की पीठ ने कहा कि श्रीनगर के पीपरकारी इलाके का निवासी वानी 16 साल से अधिक समय से लखनऊ जेल में है और 11 में से नौ मामलों में उसे बरी किया जा चुका है। अभी तक अभियोजन के 96 गवाहों में से सिर्फ 20 से ही जिरह हो सकी है। न्यायालय ने निचली अदालत को सभी आवश्यक गवाहों से 31 अक्टूबर तक जिरह पूरी कर लेने और हर हाल में वानी को एक नवम्बर से निचली अदालत द्वारा निर्धारित शर्तों पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। न्यायालय ने इस बात को लेकर भी आश्चर्य जताया कि वानी के सह आरोपी को 2001 में ही रिहा कर दिया गया था। वानी गिरफ्तारी के समय एएमयू में अरबी भाषा में पीएचडी कर रहा था।
बुधवार, 26 अप्रैल 2017
साबरमती विस्फोट कांड: वानी को जमानत पर रिहा करने का आदेश
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