पटना 24 अप्रैल, जनता दल यूनाईटेड (जदयू) ने देश में बढ़ रही क्षेत्रीय विषमता पर निराशा व्यक्त करते हुये आज कहा कि संसाधनों के वितरण में बिहार जैसे विकासशील राज्य की उपेक्षा करके राष्ट्र आगे नहीं बढ़ सकता है। जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने यहां कहा कि क्षेत्रीय विषमता को समाप्त किए बिना देश का सन्तोषप्रद विकास संभव नहीं। संसाधनों के वितरण में बिहार जैसे विकासशील राज्य की उपेक्षा करके देश आगे नहीं बढ़ सकता। श्री प्रसाद ने बताया कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी रविवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित नीति आयोग के शासकीय परिषद की तीसरी बैठक में कहा था कि बिहार जैसे विकासशील राज्यों में संसाधनों का वितरण बढ़ेगा, तभी देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उसकी हिस्सेदारी बढ़ेगी और राष्ट्र के आर्थिक हालात सुदृढ़ होंगे। उन्होंने कहा कि देश की बड़ी आबादी बिहार और पीछे छूट गए दूसरे राज्यों में बसती है इसलिए केवल विकसित राज्यों में संसाधन झोंककर देश को मजबूत नहीं किया जा सकता। देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए समग्र प्रयास करने होंगे और इसमें बिहार जैसे विकासशील तथा पीछे छूट गए राज्यों को प्राथमिकता देनी होगी।
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि विभिन्न राज्यों में वसूले जाने वाले केंद्रीय करों में राज्यों का आधा हिस्सा होना ही चाहिए। इसी प्रकार विकास एवं कल्याण कार्यक्रमों से केंद्र सरकार को मुंह छुपाने की बजाय जिम्मेवारी निभानी होगी। विभिन्न योजनाओं में केंद्र द्वारा घटा दी गई अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाना होगा। श्री प्रसाद ने कहा कि विकसित राज्यों में राजस्व उड़ेलने की बजाय विकास की दौड़ में पीछे छूट रहे राज्यों को साथ लेकर चलना होगा, वहां ज्यादा संसाधन डालने की नीति अपनानी होगी। इसी प्रकार बैंकों द्वारा बिहार जैसे राज्यों से लाखों करोड़ का जमा लेकर विकसित राज्यों में ऋण देने एवं निवेश करने की परिपाटी पर लगाम लगानी होगी। उन्हें बिहार जैसे राज्यों में न्यूनतम सौ फीसदी ऋण या निवेश के लिए बाध्य करना होगा। उन्होंने कहा कि श्री कुमार का नीति आयोग की बैठक में बिहार के संदर्भ में दिया गया सुझाव देश के सभी अविकसित और विकासशील राज्यों के हित मे है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने नीति आयोग की बैठक में एक बार फिर बिहार को पिछड़े राज्य का दर्जा देने की मांग उठाते हुये कहा कि पिछले कई वर्षों में दहाई अंक का विकास दर हासिल करने के बावजूद भी बिहार विकास के प्रमुख मापदंडों मसलन गरीबी रेखा, प्रति व्यक्ति आय, औद्योगीकरण और सामाजिक एवं भौतिक आधारभूत संरचना में राष्ट्रीय औसत से नीचे हैं। ऐसे पिछड़े राज्य को एक समय सीमा में पिछड़ेपन से उबारने और राष्ट्रीय औसत के समकक्ष लाने के लिए सकारात्मक नीतिगत पहल की जरूरत है। जिन राज्यों को विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा मिला है वे विकास के मामले में प्रगति कर रहे हैं। ऐसे में बिहार और इसके जैसे पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा दिया जाना चाहिए।
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