दुमका (अमरेन्द्र सुमन) स्टोन चिप्स प्रोडक्शन के लिये संताल परगना प्रमण्डल में ख्यातिप्राप्त उप राजधानी दुमका का शिकारीपाड़ा प्रखंड स्थानीय थाना, खनन विभाग, पत्थर माफियाओं व विचैलियों के बीच ही सिमट कर रह गया है। अवैध पत्थर उत्खनन व खुलेआम प0 बंगाल की मंडियों में मोटी कीमत पर स्टोन चिप्स की बिक्री से जहाँ एक ओर इस कारोबार में लगे व्यवसायी मालामाल होते जा रहे हैं, वहीं प्रति सप्ताह करोड़ों रुपये के खनन राजस्व चोरी से राज्य सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। राज्य से बाहर के धनकुबेर इस इलाके में मोटा धनोपार्जन के लिये पूँजी-दर-पूँजी लगाने को बेकरार देखे जा रहे हैं। इधर इस इलाके के लोगों को पत्थर खदानों व क्रेशरों में मात्र मजदूर बनकर ही अपनी पूरी उम्र खपा देनी पड़ रही है। पत्थरों के डस्ट, दूषित पेयजल, असुरक्षित भोजन व्यवस्था से पूरा का पूरा इलाका प्रभावित हो चुका है। पत्थर खदान व क्रशर मालिकों द्वारा न तो खनन, वन एवं पर्यावरण तथा एसपीटी एक्ट जैसे नियम/कानूनों का पालन किया जा रहा और न ही दुमका के प्रशासनिक महकमों को ही तरजीह दी जा रही है। धरती के नीचे सैकड़ों फीट की गहराई वाले खदानों से पत्थरों को निकालने के बाद उसके धंसने की संभावना में कई-कई लोग काल-कलवित हो जाते हैं। ब्लास्टिंग से भूकंपन की स्थिति में प्रतिवर्ष खदानों में दो-चार लोगों के मौत के समाचार भी अखबारों में प्रकाशित होते रहते हैं। सीने में दर्द, बहरापन, टीवी व खून की कमी जैसी भयानक बीमारियाँ से आम नागरिकों को गुजरना पड़ता है। इनमें से अधिकांश लोग इलाज के अभाव में बाहर ले जाने से पहले ही अपना दम तोड़ जाते हैं। खनन विभाग, स्थानीय थाना, पत्थर व्यवसायी व विचैलियों ने मोटी कमाई के बरक्श इंसानियत तक को ताख पर रख छोड़ दिया है। चितरागड़िया, शहरपुर, मंझलाडीह, कुलकुली डंगाल, गोसाई पहाड़ी, काठपहाड़ी रामजान, दलदली, चीरुडीह, मकड़ापहाड़ी, सरसडंगाल, कादरपोखर, सालडंगाल, शहरपुर, बेनागड़िया, पिनरगड़िया, गोपीकान्दर, रामगढ़ इत्यादि क्षेत्रों में अवैध तरीके से पत्थर उत्खनन के साथ-साथ अवैध रूप से ब्लास्टिंग के विरूद्ध स्थानीय नेताओं ने राज्य सरकार तक अपनी बातें पहुँचाने का भरसक प्रयास किया। इतना ही नहीं अवैध पत्थर खनन से ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकांे को हो रहे भारी नुकसान से भी अवगत कराने का प्रयास किया गया तथापि इस पर कोई अंकुश नहीं लगााया जा सका है। भाजपा रानेश्वर प्रखण्ड अध्यक्ष बबलू दत्ता का आरोप है कि खनन विभाग द्वारा सीटीओ के अनुरूप प्रतिदिन मात्र 2, 600 सीबीटी पत्थर उत्खनन के आदेश के बावजूद खदान मालिकों द्वारा प्रतिदिन 80, 000 सीबीटी बोल्डर का उत्पादन किया जाता है। एक-एक पत्थर खदान से प्रतिदिन पच्चास से सत्तर हाफ डाला (एक ट्रक के आधे भाग में) बोल्डर निकाला जा रहा। मशीन द्वारा ड्रिलिंग कर डायनामाइट से ब्लास्टिंग की जाती है। भूकंप के तीव्र झटके की तरह ग्रामीण पत्थर खदानों में ब्लास्टिंग को सहन करने पर मजबूर हैं। प्रति एक घनमीटर बोल्डर उठाने के एवज में रायल्टी शुल्क 105 रूपये जमा करने के विभागीय प्रावधान के विरुद्ध तकरीबन ढाई सौ की संख्या में संचालित अवैध पत्थर खदान मालिकों द्वारा इसकी कोई परवाह नहीं की जाती। स्थानीय नेताओं/ सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप रहा है कि खनन विभाग, थानाधिकारी व अंचलाधिकारी, शिकारीपाड़ा की देखरेख व गाइडेन्स में पिछले कई वषो्रं से यह गोरखधंधा जारी है। खदान मालिकों के साथ-साथ प्रशासनिक महकमों की सांठगांठ से जारी इस गोरखधंधे में आदिवासियों को उनके हक-अधिकार से बेदखल किया जा रहा है। सरकार की आँखों में धूल झोंक कर अंचल के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में अवैध पत्थर उत्खनन का कार्य जारी है। अवैध पत्थर खनन कार्यो के विरुद्ध कार्रवाई कर सरकारी संपत्ति को नुकसान से बचाने गुहार सरकार के वरीय अधिकारियों से लगातार की जाती रही है। गोसाईपहाड़ी में अपेल मुर्तजा (वनभूमि पर गैरकानूनी तरीके से पत्थर खदान संचालित) आदित्य घोष (गोसाईपहाड़ी) आदित्य गोस्वामी (बेनागड़िया व चितरागड़िया में तकरीबन 8 खदान इनके द्वारा संचालित) भूपेन नस्कर (काठपहाड़ी स्टोन माइन्स) नीपू शेख, तौहिद आलम उर्फ मंसूर (काठपहाड़ी) राजीव बनर्जी, द्वारा नियमों की अवहेलना कर किये जा रहे अवैध उत्खनन कार्यों के वास्तविक सत्य से भिज्ञ जिला खनन पदाधिकारी कुंडली मार कर बैठ गए हैं।
रविवार, 28 मई 2017
दुमका : अवैध पत्थर खनन कारोबारियों के पौ-बारह, कोई सूध नहीं ले रहा विभाग
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