नयी दिल्ली 04 मई, उच्चतम न्यायालय ने देश के सभी स्कूलों में आठवीं कक्षा तक हिन्दी को अनिवार्य बनाने संबंधी जनहित याचिका की सुनवाई से आज इन्कार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि वह इस तरह का कोई आदेश नहीं पारित कर सकती। न्यायमूर्ति केहर ने कहा, “हम इस तरह का आदेश नहीं दे सकते। कल कोई और आकर कहेगा कि संस्कृत को अनिवार्य बनाया जाये, कोई पंजाबी को अनिवार्य करने की मांग करेगा।” न्यायालय ने याचिकाकर्ता भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई के प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए सरकार खुद ही काफी प्रयास कर रही है। ये नीतिगत फैसले हैं और इस तरह का कोई आदेश न्यायालय कैसे पास कर सकता है। श्री उपाध्याय की ओर से जिरह कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आर एस सूरी ने बाद में याचिका वापस ले ली।
गुरुवार, 4 मई 2017
हिन्दी को अनिवार्य करने संबंधी याचिका की सुनवाई से इन्कार
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