जैन हिन्दू संस्कृति का अभिन्न अंग: गणि राजेन्द्र विजय - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 31 मई 2017

जैन हिन्दू संस्कृति का अभिन्न अंग: गणि राजेन्द्र विजय

  • राष्ट्रीय अल्पसंख्य आयोग के सदस्य बनने पर सुनील सिंघी का अभिनंदन

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नई दिल्ली, 30 मई, सुखी परिवार अभियान के प्रणेता, प्रख्यात जैन संत गणि राजेन्द्र विजय ने कहा कि जैन धार्मिक अल्पसंख्यक हंै। लेकिन वे हिन्दू संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। शिक्षा, सेवा एवं जनकल्याण के कार्यों में सक्रियता से संलग्न इस समाज को सरकारी स्तर पर जिस तरह का प्रोत्साहन एवं प्राथमिकता मिलनी चाहिए, न मिलने के कारण ही जैन समाज अल्पसंख्यक का दर्जा पाने के लिए प्रयासरत रहा है और उसे सफलता मिली है। राष्ट्रीय एकता एवं उसके समग्र विकास में जैन समाज सदैव अग्रणी रहा है। आज जब श्री नरेन्द्रजी मोदी के नेतृत्व में एक नये भारत को निर्मित करने के अभिनव उपक्रम किये जा रहे हैं जैन समाज का उसमें हर संभव सहयोग रहेगा।  गणि राजेन्द्र विजयजी कंस्टीट्यूशन क्लब में भारत सरकार के द्वारा श्री सुनील सिंघी को राष्ट्रीय अल्पसंख्य आयोग का सदस्य बनाये जाने पर समग्र जैन समाज की ओर से आयोजित अभिनंदन समारोह को सम्बोधित करते हुए बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यसभा सदस्य श्री मेघराज जैन ने की। गणि राजेन्द्र विजय ने श्री सुनील सिंघी को अपना आशीर्वाद प्रदत्त करते हुए कहा कि एक सक्षम व्यक्ति को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। हमें भारत का स्वर्णिम विकास करना है, उसको संगठित करना है, सुदृढ़ करना है और उसकी पहचान भारतीयता के रूप में स्थापित करनी है। इसके लिए अब अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक जैसे विचारों से हमें ऊपर उठने की जरूरत है।


श्री सुनील सिंघी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार सभी वर्गों के लोगों के विकास का काम कर रही है और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के माध्यम से भी विकास की लहर को आगे बढ़ाते हुए अल्पसंख्यकों को सरकार द्वारा चलाये जा रहे कार्यों का लाभ दिलाने का भरपूर प्रयास रहेगा। उन्होंने आयोग में आ रही सभी शिकायतांे का समय पर निदान किये जाने का भी आश्वासन दिया। श्री सिंघी ने समग्र जैन समाज का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे जैन समाज के अधिकारों के लिए संघर्षरत रहेंगे। सांसद श्री मेघराज जैन ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में दायित्व और कर्तव्यबोध जागे, तभी लोकतंत्र को सशक्त किया जा सकता है। यही वक्त है जब राष्ट्रीय एकता को संगठित किया जाना जरूरी है। अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक की राजनीति देश के लिए घातक है। राष्ट्रीयता के आधार पर वह हर व्यक्ति हिन्दू है जिसे हिन्दुस्तान की नागरिकता प्राप्त है और जिसकी मातृभूमि हिन्दुस्तान है। जैन समाज को हिन्दू धर्म से पृथक करके नहीं देखा जा सकता। जाति व धर्म के आधार पर इंसान को बांटने की नहीं, जोड़ने की जरूरत है। हमारा संविधान भी राष्ट्रीय एकता पर बल देता है, उसमें जाति एवं सम्प्रदाय का कोई अवकाश नहीं है। जैन सभा दिल्ली के प्रो. रतन जैन ने जैन समाज को अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त होने के लिए किये गये संघर्ष की पूरी दास्तान प्रस्तुत की।

इस अवसर पर श्री सुनील सिंघी का भव्य अभिनंदन करते हुए अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। जैन समाज को अल्पसंख्यक का दर्जा दिये जाने एवं श्री सुनील सिंघी जैसे व्यक्तित्व को आयोग का सदस्य बनाये जाने पर खुशी व्यक्त करते हुए उनका शाॅल, साहित्य एवं गुलदस्ते से स्वागत किया गया। मूर्तिपूजक जैन समाज की ओर से श्री राजकुमार जैन, जैन युवक संघ की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री हरेशभाई शाह, दिल्ली शाखा के अध्यक्ष श्री कैलाश मुथा, संस्थापक अध्यक्ष श्री ललित नाहटा, तेरापंथ समाज की ओर से श्री गोविंद बाफना, श्री सुखराज सेठिया, श्री संपतमल नाहटा, दिगम्बर जैन समाज की ओर से श्री मनेन्द्र जैन, पंजाब केसरी के कार्यकारी अध्यक्ष श्री स्वदेशभूषण जैन, जीतो की ओर से श्री किशोर कोचर, सुखी परिवार फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक श्री ललित गर्ग आदि ने अपनी शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए श्री सिंघी का अभिनंदन किया। कार्यक्रम के संयोजन में श्री नितीन दुगड़ का उल्लेखनीय सहयोग रहा। 

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