नयी दिल्ली, 05 मई, राजधानी ही नहीं, बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख देने वाले निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड के दोषियों की फांसी की सजा पर आज उच्चतम न्यायालय ने भी मोहर लगा दी, शीर्ष अदालत ने राजधानी के निर्भया सामूहिक बलात्कार के मामले में चारों दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायाल के फैसले के खिलाफ मुकेश, पवन, विनय और अक्षय की अपील ठुकराते हुए कहा कि इस मामले में उच्च न्यायालय का फैसला बिल्कुल सही है। न्यायालय ने निर्भया के साथ हुई बर्बर घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि यह जघन्य अपराध था और इसे विरलों में विरलतम (रेयरेस्ट ऑफ दि रेयर) की श्रेणी में रखा जाना सही है। तीनों न्यायाधीशों ने सहमति का फैसला सुनाया, लेकिन न्यायमूर्ति भानुमति ने इस मामले में अलग से अपना फैसला सुनाया। दो सदस्याें की ओर से न्यायमूर्ति मिश्रा ने 315 पृष्ठ के फैसले और न्यायमूर्ति भानुमति ने 114 पृष्ठ के फैसले के मुख्य अंश पढ़े। वकीलों और मीडियाकर्मियों से खचाखच भरे अदालत कक्ष में निर्भया के माता-पिता भी मौजूद थे।
शनिवार, 6 मई 2017
निर्भया गैंगरेप : सुप्रीम कोर्ट ने भी लगायी मृत्युदंड पर मोहर
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