पटना 16 जून, बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने केंद्र सरकार पर महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत दी जाने वाली मजदूरी में राज्य के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुये आज कहा कि योजना के तहत जहां अन्य राज्यों में प्रति व्यक्ति मजदूरी 277 रुपये तक है वहीं बिहार में यह केवल 168 रुपये है। श्री कुमार ने यहां कहा कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 में बिहार के मनरेगा मजदूरों के लिए केवल एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए 168 रूपये मजदूरी निर्धारित की है, जो अन्य राज्यों में तय की गई मजदूरी से करीब 100 रुपये कम है। उन्होने बताया कि एक ओर हरियाणा में मनरेगा मजदूरी दर 277 रुपये, चंडीगढ़ में 265 रुपये, केरल में 258 रुपये, गोवा में 240 रुपये, कर्नाटक में 236 रुपये और पंजाब में 233 रुपये निर्धारित की गई है वहीं दूसरी तरपु बिहार जैसे कृषि प्रधान, जनसंख्या बहुल एवं मैदानी राज्य को केवल 168 रुपये दी जा रही है, जो केन्द्र का प्रदेश के साथ सौतेले व्यवहार को दर्शाता है। मंत्री ने कहा कि बिहार सरकार ने न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, के तहत इस वर्ष 01 अप्रैल से अकुशल कृषि श्रमिकों के लिए 232 रुपये मजदूरी तय की है। राज्य में मजदूरी का निर्धारण वर्ष में दो बार किया जाता है जबकि केन्द्र सरकार ऐसा केवल साल में एक बार करती है। उन्होंने कहा कि राज्य में निर्धारित मजदूरी एवं केन्द्र सरकार द्वारा तय मजदूरी में भी 64 रुपये का अंतर है, जो निर्धारित मजदूरी के एक तिहाई से भी अधिक है।
श्री कुमार ने कहा कि राज्य सरकार ने बिहार के मजदूरों को पिछले वर्षों से अपने संसाधन के जरिए अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराते हुए 177 रुपये मजदूरी दे रही है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में निर्धारित मनरेगा मजदूरी की तुलना में बिहार के लिए कम मजदूरी तय करने तथा राज्य सरकार निर्धारित मजदूरी 232 रुपये से भी कम मजदूरी के कारण प्रदेश से मजदूरों के पलायन की संभावना बनी रहती है। मंत्री ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों में केन्द्र की ओर से निर्धारित मनरेगा मजदूरी के आंकड़ों की जानकारी देते हुए बताया कि गोवा में मनरेगा मजदूरी 240 रुपये, कर्नाटक में 236 रुपये, महाराष्ट्र मे 201 रुपये, उत्तर प्रदेश एवं उतराखंड में 175-175 रुपये तथा मध्य प्रदेश में 172 रुपये है, जिससे बिहार के साथ केन्द्र का व्यवहार परिलक्षित होता है।श्री कुमार ने बताया कि उन्होंने मई 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तथ्यों से अवगत कराते हुए बिहार में मनरेगा मजदूरों के लिए हरियाणा की तरह 277 रुपये अथवा बिहार सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के तहत निर्धारित न्यूनतम मजदूरी 232 रुपये निर्धारित करने का आग्रह किया है, जिससे वर्तमान में मनरेगा मजदूरों को दी जाने वाली मजदूरी एवं कृषि क्षेत्र के अकुशल श्रमिकों को दी जाने वाली मजदूरी के बीच 65 रुपये के अंतर को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि आजतक केन्द्र सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष गुवाहाटी में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में भी अन्य बिन्दुओं के साथ-साथ मनरेगा मजदूरों के लिए समान मजदूरी या राज्य में निर्धारित न्यूनतम मजदूरी के अनुरूप मजदूरी तय करने का सुझाव दिया था।
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