नयी दिल्ली 10 जुलाई, उर्दू लिखने -पढने के प्रति लोगों की रूचि बढ रही है और इसमें प्रवासी भारतीय भी आगे आ रहे हैं, अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय से गणित में पी.एच.डी एवं विश्व प्रसिद्ध एम.ई.टी विश्वविद्यालय में शिक्षक रहे संजय तिवारी को उर्दू जुबान से इतना गहरा लगाव है कि उन्होंने अपने भारत प्रवास के दौरान उर्दू का एक सर्टिफिकेट कोर्स कर डाला। तिरसठ वर्षीय श्री तिवारी उन 95 लोगों में शामिल हैं जिन्होंने रेख्ता फाउंडेशन के उर्दू सर्टिफिकेट कोर्स से यह जबान सीखी। इनमें कई वकील, व्यापारी, शिक्षक, डॉक्टर और गृहणियां शामिल हैं । इनमें 90प्रतिशत लोग बहुसंख्यक समुदाय से हैं जिससे यह धारणा गलत साबित हाे रही है कि उर्दू किसी एक कौम की जुबान है । ये लोग उर्दू और हिन्दी को किसी कौम की जुबान नहीं बल्कि सगी बहनें मानते हैं। इनका कहना है कि उर्दू मोहब्बत की भाषा है और वे अपने देश में इस मोहब्बत को जिन्दा रखना चाहते हैं और इसे सियासत से दूर रखना चाहते हैं। उर्दू की सबसे बड़ी वेबसाइट ‘रेख्ता’ ने पहली बार लोगों को उर्दू सिखाने का काम कर रही है । सीखने वालों में वकील ,व्यापारी ,गृहणियों के अलावा न्यूरो सर्जन और शेफ भी शामिल हैं। रेख्ता की प्रबंधक अपर्णा ने यूनीवार्ता को बताया कि राजधानी में ‘जश्ने रेख्ता’ की सफलता के बाद जब संस्था ने उर्दू सीखाने का कोर्स शुरू किया तो दो घंटे के भीतर ही 95 लोगों ने ऑनलाइन पंजीकरण करवाया । इससे पता चलता है कि गैर मुस्लिम लोग भी उर्दू सीखना चाहते हैं क्योंकि इस जुबान की मिठास उन्हें पसंद है । यह जुबान नहीं बल्कि एक तहजीब है और दो दिलों को जोडने वाली भाषा है । दरअसल यह मोहब्बत की भाषा है तभी तो अमेरिका के कई विश्विद्यालय में प्रोफेसर रहा व्यक्ति ही नहीं बल्कि उच्चतम न्यायलय की वकील दिल्ली विश्विद्यालय में अंग्रेजी की प्रोफेसर और पुरानी दिल्ली के व्यापारी भी उर्दू सीख रहे हैं ।
सोमवार, 10 जुलाई 2017
‘किसी एक काैम की नहीं ,मोहब्बत की भाषा है उर्दू ’
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