रांची 21 सितम्बर, झारखंड के 74.8 प्रतिशत लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कामकाज से खुश हैं। फोकस्ड इलेक्शन रिसर्च सर्वे : वीएमआर सर्वे ने आज यहां जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार की नीतियों और योजनाओं को झारखंड के लोग पसंद कर रहे हैं और सरकार की छवि लोगों की नजर में अच्छी है। वहीं यदि आज राज्य में विधानसभा चुनाव कराये जायें तो भाजपा को 45.24 फीसदी मत मिल सकते हैं। बीएमआर सर्वे की टीम ने झारखंड में 01 सितम्बर से 11 सितम्बर के बीच में 15 विधानसभा क्षेत्रों के गांव और कस्बों में घर-घर जाकर कुल 5516 पंजीकृत मतदाताओं से बातचीत की। विधानसभा क्षेत्र और मतदाताओं का चयन पिछले चुनाव परिणाम जातिगत समीकरण, पोलिंग बूथ और अन्य मानकों को ध्यान में रखकर किया गया। वोटर्स मूड रिसर्च (वीएमआर) जो कि देश की एक प्रतिष्ठित रिसर्च एजेंसी है ने झारखंड के लोगों की नब्ज टटोली तो ये बात सामने आयी कि प्रदेश के 55 फीसदी से ज्यादा लोग राज्य की रघुवर सरकार से संतुष्ट हैं। सर्वे के अनुसार यदि आज राज्य में विधानसभा का चुनाव हो तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जबरदस्त रूप से मजबूत होकर सत्ता में वापसी करती हुयी दिख रही है। सर्वे के अनुसार जहां लगभग 45 प्रतिशत वोटर भाजपा के साथ है वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) मात्र 17 प्रतिशत मत लेकर दूसरे स्थान पर है। कांग्रेस आठ प्रतिशत मत लेकर तीसरे और झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) प्रजातांत्रिक सात प्रतिशत के साथ चौथे स्थान पर है। अन्य खाते में लगभग दस प्रतिशत मत है लेकिन यह मत बटे हुये है। सर्वे में 14 प्रतिशत का स्विंग जहां भाजपा के पक्ष में देखने को मिला है वहीं वोट का स्विंग बांकी सभी पार्टियों के खिलाफ जा रहा है। झामुमो के खिलाफ स्विंग तीन प्रतिशत, कांग्रेस के खिलाफ 2.5 प्रतिशत, आजसू के खिलाफ 1.7 प्रतिशत, झाविमो के खिलाफ 2.7 प्रतिशत और अन्य के खिलाफ 16 प्रतिशत है। इस वोट प्रतिशत को यदि सीटों में तब्दील किया जाये तो राज्य की 81 विधानसभा सीटों में से भाजपा 65, झामुमो 12, कांग्रेस दो, झाविमो एक सीट पर जीत सकती है वहीं अन्य के खाते में एक सीट ज्यादा दिखाई पड़ती है।
रिपोर्ट के मुताबिक एक ओर जहां भाजपा 2014 के विधानसभा चुनाव में प्राप्त वोट में से 75 प्रतिशत पर पकड़ बनाये रखने में सफल रही है वहीं अन्य प्रमुख पार्टियां झामुमो 54 प्रतिशत, कांग्रेस 50 प्रतिशत और झाविमो 41 प्रतिशत पर ही पकड़ बनाये हुये है। झामुमो और झाविमो का हर तीसरा वोटर भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहा है। वी एम आर ने यह जानने की कोशिश भी नहीं की कि भाजपा के जनाधार में इजाफे की वजह क्या है। आंकडों के विश्लेषण से पता चला कि 2014 में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के जिस बड़े वर्ग ने कांग्रेस, झामुमो और झाविमो को वोट दिया था उसमे सेंध लग चुकी है। झामुमो और कांग्रेस के तीस फीसदी से ज्यादा वोट अब तक भाजपा में शिफ्ट हो चुके हैं और आज यदि झारखंड में चुनाव कराये जायें तो इसका नुकसान कांग्रेस और झामुमो को होगा। अन्य छोटे दलों और निर्दलीय के वोटरों में भी भाजपा सेंध लगा चुकी है और इस तबके से भी 20 फीसदी के करीब वोटर भाजपा के समर्थन में आ चुके है। एसटी वोटों में खासकर गैर-संथाल आदिवासियों के बीच भाजपा ने अपना जनाधार बढ़ाया है। वीएमआर सर्वे में 38 प्रतिशत आदिवासी भाजपा के पक्ष में जबकि 31 प्रतिशत झामुमो के पक्ष में दिखे। गैर-संथाल इलाकों में किये गये सर्वे में यह बात सामने आई कि यहां की 28 में 19 सीटों पर भाजपा काबिज हो सकती है, जहां तक एससी मतदाताओं का सवाल है तो सर्वे में इस वर्ग की सभी प्रमुख जातियां जो 2014 में झामुमो और झाविमो के साथ थी, अब भाजपा के पक्ष में आ चुकी हैं। तुरी जाति के बीच भी भाजपा ने अच्छी पैठ बना ली है। अति पिछड़ा वर्ग में मोमिन-अंसारी को छोड़कर बांकी सभी जातियों में भाजपा की पैठ बढी है। कुर्मी, यादव, तेली और सुरी सभी भाजपा के पक्ष मे दिख रहे हैं।
भाजपा के बढ़ते जनाधार के पीछे केन्द्र सरकार की यह योजनायें हैं जिनका आम लोगों पर अच्छा असर हुआ है। मसलन स्वच्छ भारत अभियान, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री जनधन योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना। राज्य सरकार की लोकप्रियता में इन योजनाओं की 46 फीसदी भागीदारी है। राज्य सरकार की जिन योजनाओं को लोगो ने सराहा है उनमें सड़क और बिजली के लिये किये जा रहे कार्य प्रमुख हैं। सर्वे में लोगों ने पीने का साफ पानी मुहैया नहीं होने पर कहा कि इस मोर्चे पर सरकार को काम करने की जरूरत है। सर्वे में 70 फीसदी से ज्यादा लोगों ने प्रदेश की रघुवर सरकार के कामकाज को उत्तम रेटिंग दी है। वीएमआर ने झारखंड के लोगों से जब ये पूछा कि आज यदि चुनाव कराया जाये तो मुख्यमंत्री पद के लिये कौन आपकी पहली पसंद होगी। इसपर 65 फीसदी लोगों ने रघुवर दास को अपनी पहली पसंद बताया जबकि बाबू लाल मरांडी, हेमंत सोरेन और अर्जुन मुंडा काफी पीछे रहे। मुख्यमंत्री पद के लिये रघुवर दास के नाम पर जहां लोगों में आम सहमति दिखी वहीं जो सबसे हैरान करने वाली बात सामने आई वह यह कि अपने विधायकों को दुबारा चुनने को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति थी। सर्वे में शामिल करीब 50 फीसदी लोगों का जवाब था कि वह अपने मौजूदा विधायक को नहीं चुनेंगे जबकि 44 फीसदी लोग अपने मौजूदा विधायक से संतुष्ट दिखे। जिन लोगों ने मौजूदा विधायक को नहीं चुनने की बात की उनमें से 40 फीसदी का कहना था कि विधायक ने इलाके में विकास का काम नहीं किया। यह स्थिति सभी पार्टी के विधायकों के साथ देखने को मिली।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें