नयी दिल्ली 21 सितंबर, भारत में वन्य जीवों की तस्करी की समस्या नेपाल और भूटान के सीमावर्ती पांच राज्यों में गंभीर हो गयी है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम बंगाल बीते तीन साल में वन संपदा की तस्करी का गढ़ बन गया है। दोनों देशों से लगी लगभग 2500 किमी लंबी सीमा के आसपास घने जंगलों से वन्य जीवों की होने वाली तस्करी में लगभग आधी हिस्सेदारी पश्चिम बंगाल की हो गयी है। वन्य जीवों की तस्करी को रोकने के लिये तैनात सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के सालाना आंकड़ों में यह बात सामने आयी है। नेपाल और भूटान के सीमावर्ती पांच राज्यों में सीमा पर चौकसी की जिम्मेदारी निभा रहे एसएसबी के जवानों पर वन क्षेत्रों से होने वाले अपराधों पर भी नकेल कसने का दायित्व है। वन्य जीवों और वन संपदा की तस्करी जैसे अपराधों से जुड़े एसएसबी के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम में बल के जवानों ने बीते तीन सालों में कुल 247 मामले दर्ज किये है। इनमें से अकेले पश्चिम बंगाल से 125 मामले दर्ज हुये हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश से 54, बिहार से 36, असम से 29 और उत्तराखंड में तीन मामले दर्ज हुये हैं।
एसएसबी के सालाना आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 से 2017 के दौरान की गयी वन्य जीवों की तस्करी का मूल्य 244.56 करोड़ रुपये आंका गया है। वन संपदा को हुये इस नुकसान में पश्चिम बंगाल की सर्वाधिक 192.70 करोड़ रुपये की भागीदारी रही है। इन आंकड़ों में साल दर साल हो रही बढ़ोतरी ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की चिंता बढ़ा दी है। पर्यावरण एवं वन मंत्री डा. हर्षवर्धन एसएसबी के सहयोग से इस समस्या के समाधान की कार्ययोजना को कल बल के आला अधिकारियों के साथ साझा करेंगें। एसएसबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 में वन संपदा की तस्करी के दर्ज किये गये 39 मामलों का आंकड़ा बढ़ कर इस साल अगस्त तक 82 हो गया हैं। एसएसबी 175.1 किमी लंबी भारत नेपाल सीमा और 699 किमी लंबी भारत भूटान सीमा पर सुरक्षा में तैनात है। इसके सीमावर्ती पांच राज्यों के सघन वन क्षेत्रों में स्तनपायी जीवों की 150 प्रजातियां, पक्षियों की 650, मछलियों की 200, सरीसृप जीवों की 69 और उभयचर जीवों की 19 प्रजातियां पायी जाती हैं। तस्करों के निशाने पर आये इन इलाकों में पाये जाने वाले वन्य जीवों में हिम तेंदुआ, सफेद हिरण, बाघ, एशियाई हाथी, हिमालयन नीली भेड़ और किंग कोबरा शामिल हैं।
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