पटना 13 सिंतबर, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि बिहार सरकार बाढ़ पीड़ितों के प्रति बेहद असंवेदनशील रवैया अपना रही है. एक तरफ सरकार बाढ़ पीड़ितों को मामूली राहत भी प्रदान नहीं कर रही, तो दूसरी ओर आंदोलन कर रहे बाढ़ पीड़ितों व माले कार्यकर्ताओं की मांगों को सुनने की बजाए उनपर फर्जी मुकदमे लाद रही है. इससे साबित होता है कि संकट के समय भी सरकार अपनी जवाबदेही पूरा करने की बजाए दमन का ही रास्ता अपना रही है. सरकार व प्रशासन का यह रवैया घोर निंदनीय है. उन्होंने आगे कहा कि बाढ़ पीड़ितों को तत्काल राहत पहुंचाने की मांग पर हमारी पार्टी ने पिछले 9 सितंबर को उत्तर बिहार में चक्का जाम का आह्वान किया था. सरकार की संवेदनहीनता से आक्रोशित बाढ़ पीड़ितों ने जगह-जगह अपने आक्रोश का इजहार किया और शांतिपूर्ण चक्का जाम के जरिए राहत अभियान तेज करने की मांग की. लेकिन सरकार ने राहत अभियान तेज करने की बजाए आंदोलनकारियों पर फर्जी मुकदमे लाद दिये.
पश्चिम चंपारण व दरभंगा में इस तरह की निंदनीय कार्रवाई की गयी है. पश्चिम चंपारण में जब बाढ पीड़ितों नेे जिला समाहर्ता के समक्ष प्रदर्शन के कार्यक्रम में भाग लिया, तब उन्हें मुकदमा झेलने की धमकी दी गयी. नरकटियागंज में एसडीएम ने भी धमकी दिया. नरकटियागंज शहर के वार्ड नंबर 12 के वार्ड पार्षद पर नगर कार्यपालक पदाधिकारी ने मुकदमा थोप दिया. इसी तरह योगापट्टी, रामनगर, गौनाहा, मझौलिया आदि प्रखण्डों में भी राहत की मांग करने वाले बाढ़ पीड़ितों पर मुकदमे किए गए हैं. 9 सितम्बर के भाकपा माले द्वारा बाढ़ प्रभावित जिलों में पटना-दिल्ली की सरकारों की संवेदनहीनता के खिलाफ आहूत चक्काजाम के क्रम में भाकपा माले के लोकप्रिय नेता कामरेड मुख्तार मियां, नजरे आलम समेत सैकड़ों बाढ पीड़ितों पर मुकदमा किया गया है. शान्तिपूर्ण ढंग से हुए चक्काजाम के कार्यक्रम में कोई बहाना न मिलने पर एसडीएम ने माले नेताओं को फंसाने के लिए तर्क गढ़ा कि सडक जाम के संबंध में हाईकोर्ट के फैसले का उल्लंघन किया गया है. इसी तर्क के सहारे बाढ़ पीड़ितों पर कर्मचारियों के जरिए मुकदमा करवाया गया है. दरभंगा के भी मब्बी और धोई में बाढ़ पीड़ितों पर मुकदमा दर्ज किया गया है.
माले राज्य सचिव ने कहा कि आज बाढ़ पीड़ित भूखमरी के शिकार हैं. उन्हें राहत देने की बजाए भाजपा-जद (यू) बाढ़ पीड़ितों के दमन पर उतारू है. बाढ़ पीड़ितों की जो सूची बनायी जा रही है, उसमें भी भेदभाव किया जा रहा है. वास्तविक लाभार्थियों के नाम सूची में शामिल नहीं किए जा रहे हैं. आज एक माह बाद भी सैकड़ों बाढ पीड़ित गांवों में पांच किलो चावल वाला पैकेट भी नही पहुंचा है. पश्चिम चंपारण में अब तक कोई भी व्यक्ति अपने बैंक खाते से राहत राशि नही निकाल पाया है. इस तरह बिहार सरकार बाढ़ पीड़ितों केा राहत देने की बजाए उनकी आवाज को दबाने और उनका कष्ट बढ़ाने में लगी हुई है.
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