छोटे कारोबारियों को हर माह रिटर्न दाखिल करने से मिले छूट : सुशील - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 5 अक्टूबर 2017

छोटे कारोबारियों को हर माह रिटर्न दाखिल करने से मिले छूट : सुशील


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पटना 05 अक्टूबर, बिहार के वित्तमंत्री वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद् में मंत्रियों के समूह के अध्यक्ष सुशील कुमार मोदी ने जीएसटी लागू होने के बाद से छोटे कारोबारियों को हो रही परेशानियों के मद्देनजर परिषद् से डेढ़ करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले व्यवसायियों को प्रत्येक माह रिटर्न दाखिल करने से छूट देने की अपील की। श्री मोदी ने आज कहा, “जीएसटी परिषद् की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कल बैठक होने वाली है। मैं परिषद् के सदस्यों से अपील करता हूं कि जिन कारोबारियों के कारोबार का टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये तक है उन्हें हर महीने रिटर्न दाखिल करने से छूट देकर उनके लिए प्रत्येक तीन माह पर विवरणी देने के उपायों पर विचार करें।” वित्त मंत्री ने कहा कि देश में 65 प्रतिशत छोटे (टर्न ओवर 1.5 करोड़ रुपये तक) कारोबारी हैं। यदि इन्हें प्रत्येक महीने की बाजय तीन माह पर रिटर्न दाखिल करने की सुविधा उपलब्ध करा दी जाये तो सरकार के राजस्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और इन कारोबारियों को भी राहत मिल जायेगी। श्री मोदी ने कहा कि पहले अधिकांश राज्यों में मूल्य वर्द्धित कर (वैट) की व्यवस्था के तहत प्रत्येक तीन महीने पर रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान था। लेकिन, जीएसटी के प्रावधानों के अनुरूप छोटे एवं बड़े सभी कारोबारियों को हर महीने विवरणी दाखिल करनी पड़ती है, जिससे छोटे व्यापारियों को काफी कठिनाई हो रही है। इस संबंध में उन्होंने सुझाव देते हुये कहा कि 1.5 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले करदाताओं को प्रत्येक तीन महीने पर रिटर्न फाइल करने की अनुमति दी जाये। वित्त मंत्री ने कहा कि रिवर्स जार्च मैकेनिज्म की व्यवस्था को फिलहाल स्थगित रखा जाय तथा कम्पाउंडिंग स्कीम के तहत 75 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर एक करोड़ रुपये किया जाये। उन्होंने कहा कि वर्तमान में रिवर्स जार्च मैकेनिज्म के तहत निबंधित करदाताओं को बिना निबंधन कराये हुये आपूर्तिकर्ताओं से माल खरीदने पर कर भुगतान करना पड़ता है। जिसके कारण छोटे व्यापारियों को काफी कठिनाई होती है। श्री मोदी ने कहा कि कम्पाउंडिंग स्कीम के तहत जिन व्यापारियों का टर्नओवर 75 लाख रुपये तक है उन्हें कुल बिक्री पर एक प्रतिशत कर देना पड़ता है। छोटे व्यापारियों के लिये यह सीमा कम है। ऐसे में इस सीमा को बढ़ाकर एक करोड़ रुपये तक किया जाये ताकि छोटे कारोबारियों को राहत मिल सके।

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