अयोध्या/इलाहाबाद 13 नवम्बर, शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अयोध्या के विवादित धर्मस्थल पर भव्य राममंदिर निर्माण की वकालत करते हुए बाबरी मस्जिद के बजाय मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में मस्जिद-ए-अमन तामीर कराने की मांग की है। बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने इसी मसौदे पर दो दिन तक साधु-संतों से गहन विचार-विमर्श किया। वह कल अयोध्या में साधु-संतों से मिलने के बाद आज इलाहाबाद में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरि से मुलाकात की। श्री गिरि से वह कल अयोध्या में भी मिले थे। श्री रिजवी ने विवादित श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण की जोरदार वकालत की और कहा कि विवादित स्थल से हटकर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में मस्जिद का निर्माण होना चाहिये। जिसका नाम बाबरी के बजाय मस्जिद-ए-अमन रखा जाय। वह इसी मसौदे को आगामी पांच दिसम्बर को उच्चतम न्यायालय में पेश करने वाले हैं। श्री रिजवी ने इसी सिलसिले में आज अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरि से इलाहाबाद में मुलाकात की। दोनों में करीब आधे घंटे चली एकान्त बातचीत में इस मसले पर चर्चा हुई। इससे पहले कल अयोध्या में श्री गिरि के साथ ही श्री रिजवी ने श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, न्यास के सदस्य सुरेश दास,हनुमानगढ़ी के महंत धर्मदास, मंहत रामकुमार दास समेत कई संतों से मुलाकात कर उनके समक्ष समझौते का मसौदा पेश किया था। श्री रिजवी के अनुसार साधु-संतों ने उनके मसौदे को सही करार दिया है। उधर, मंदिर-मस्जिद विवाद के पक्षकार सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने श्री रिजवी के प्रयासों को महज सुर्खियां बटोरने का एक माध्यम बताया। सुन्नियों ने उनके प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया। बाबरी मस्जिद के मुद्दई रहे हाजी मोहम्मद हाशिम अंसारी के उत्तराधिकारी मोहम्मद इकबाल अंसारी ने कहा कि श्री रिजवी मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिये बिना सिर पैर के मसौदे तैयार कर रहे हैें। उसका मुकदमें या मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। श्री इकबाल अंसारी ने कहा कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी शिया तथा सुन्नी समुदाय के बीच नफरत पैदा करने के लिये मंदिर-मस्जिद विवाद के हल का प्रस्ताव लाये हैं। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद की देखभाल सुन्नी समुदाय के लोगों ने की है। यहाँ नमाज भी अता की थी। वसीम रिजवी ने कल शाम उन्हें बुलाया था। उन्होने समझौता प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने की बात कही थी, लेकिन श्री रिजवी के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के बजाय वह बैठक से उठकर ही चले गये थे। उन्होंने कहा कि वसीम रिजवी राजनीति कर रहे हैं। अपनी कुर्सी को बचाने में लगे हुए हैं। लोगों को लोकतंत्र पर भरोसा है। उन्होंने कहा कि फैजाबाद जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय का आदेश होने के बाद उच्चतम न्यायालय में जब यह मामला पहुँचा तो अचानक शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष कहाँ से आ गये। इसके पहले वह कहां थे। उन्होने कहा कि इन लोगों ने शुरू से मामले की पैरवी क्यों नही की। योगी आदित्यनाथ सरकार शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन के खिलाफ जांच बैठा सकती है। इसीलिये उन्होंने प्रदेश की मौजूदा सरकार से नजदीकियां बढ़ाने के लिये अयोध्या आना-जाना शुरू कर दिया है। सुन्नी समुदाय को अयोध्या के संत-धर्माचार्य एवं मुस्लिम धर्माचार्यों पर पूर्ण रूप से भरोसा है।
सोमवार, 13 नवंबर 2017
बाबरी नहीं, बने मस्जिद-ए-अमन : शिया वक्फ बोर्ड
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