नई दिल्ली, 8 दिसम्बर, भारत में कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिए इसे एक गंभीर बीमारी के रूप में चित्रित करने, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करने, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हितधारकों के साथ बेहतर प्रयासों को साझा करने और कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों से बातचीत करने के लिए एक तीन दिवसीय राष्ट्रीय कुष्ठ रोग सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में यह सार निकाला गया कि कुष्ठ रोग से लड़ने के लिए सरकार के नेतृत्व में एक सहयोगी और मजबूत प्रयास की जरूरत है, जिसमें कुष्ठ रोग के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न संस्थाओं का समर्थन भी बेहद जरूरी है। 5 से 7 दिसंबर तक आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य सभी हितधारकों को एक साथ लाने, एक-दूसरे के साथ उनके अनुभवों को साझा करने, एक-दूसरे से सीखने और राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम में आगे सुधार लाने हेतु जरूरी कदमों की सिफारिश करने के लिए एक मंच प्रदान करना था। यह सम्मेलन नोवार्टिस फाउंडेशन, दि निप्पॉन फाउंडेशन, आईएलईपी, डब्ल्यूएचओ, एचकेएनएस, आईएई और सेंट्रल लेप्रोसी डिविजन (सीएलडी) के सहयोग से आयोजित किया गया।
रुझानों से पता चलता है कि भारत में अभी भी समाज में बहुत से मामले अज्ञात हैं और बीमारी का प्रसार लगातार जारी है। सरकार और मंत्रालय ने कुष्ठ रोग मुक्त भारत बनाने के लिए अपने प्रयासों को अंतिम छोर तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता को दोहराया है। नेदरलैंड लेप्रसी रिलीफ इंडिया (एनएलआर इंडिया) के कंट्री डायरेक्टर और सम्मेलन के आयोजन सचिव एम.ए. आरिफ ने कहा, "हमारा उद्देश्य यहां सम्मिलित राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों, जमीनी स्तर पर काम कर रहे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं व इस बीमारी से प्रभावित लोगों के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य अभ्यास पर चर्चा करना है। लेप्रोसी को लेकर काफी नवाचार कार्यक्रम किये जा रहे हैं ,जिसके तहत ऐंडेमिक डिस्ट्रिक्ट (जहां अधिकतम केस होने की संभावना है) में अभियान चलाया गया और हाउस सर्च की गयी जिससे कि इन केसों का शुरूआत में ही पता चल सके और रोकथाम की जा सके, इससे विकलांगता को रोकने में मदद मिलेगी।"
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