- महादलितों को शौचालय दिया और दलित को सोचने को मजबूर कर दिया
नालंदा. हरनौत प्रखंड में लोहरा ग्राम पंचायत .यहां पर लोहरा गांव में है. वार्ड नम्बर-13 में विभिन्न जाति के लोग रहते हैं.कुर्मी, कायस्त, मुसहर,चमार,दुसाद आदि जाति के लोग रहते हैं. स्वच्छ भारत मिशन के तहत दुसाद जाति को छोड़कर शेष अन्य जातियों का शौचालय बन गया है.वह किस तरह निर्माण किया गया है वह जांच का विषय है.
बेलाग 80 दुसाद के घरों को दिया छोड़
लोहरा गांव में 80 दुसाद परिवार के लोग रहते हैं जबकि दुसाद जाति से लोजपा के नेता लोग मंत्री है केंद्र और राज्य मंत्रिमंडल में.बावजूद दुसाद जाति के लोगों के साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार किया जा रहा है. उत्क्रमिक कन्या मध्य विघालय में जीवा के द्वारा स्वच्छता पर जानकारी दी गयी. वहां पर यह जानने का प्रयास किया कि कितने विघार्थियों के पास शौचालय नहीं है? लगभग दर्जनों विघार्थियों ने कहा कि दुसाद जाति के घरों में शौचालय बना ही नहीं है. खुले में सुबह-शाम शौचक्रिया करने जाते हैं.
और मैं तुलसी तेरे आंगन की ......
मैं तुलसी तेरे आंगन की नहीं....अब मैं तुलसी तेरी सड़क किनारे की होने वाली है.वार्ड नं.13 की महिलाओं ने ठान रखी है कि खुले में लोगों को शौचक्रिया करने नहीं देंगे. एक किलो मीटर लम्बी पीसीसी सड़क की धुलाई की गयी.रेणु देवी कहती है कि दर्जनों बार झाड़ू लगाकर साफ सफाई की गयी. इसके बाद टॉच जलाकर सुबह-शाम निगरानी करने लगें. जीवा के कार्यकर्ता अवधेश कुमार वर्मा, मनीष कुमार अम्बष्ठ और धन्नजंय कुमार के सहयोग से पीसीसी रोड के किनारे तुलसी पेड़ लगाने जा रहे हैं.
सीएम अंकल नीतीश कुमार से रिक्वेस्ट
सीएम अंकल नीतीश कुमार से खुशबू कुमारी ने आग्रह की हैं कि आपके राज्य में दलितों के साथ अन्याय किया जा रहा है.दुसाद जाति के 80 परिवार के लोगों का शौचालय निर्माण नहीं किया जा रहा है. हमलोग उत्क्रमित कन्या मध्य विघालय की छात्राएं हैं.पढ़ाई-लिखाई के साथ शौचालय की चिंता होने लगी है.सरकारी योजनाओं से शौचालय निमार्ण करने में विलम्ब होने से गैर सरकारी संस्था सक्रिय होकर लूटने लगे हैं. ककड़बाग,पटना की शास्त्री महिला प्रशिक्षण केंद्र के द्वारा शौचालय बनाने के नाम पर तीस-तीस रू.डकार लिये.
रामाधीन पासवान की तरह ही दर्जनों पलायन
दिल्ली पलायन कर दिये हैं रामाधीन पासवान. इनके 4 पुत्र और 2 पुत्री हैं. रामाधीन पासवान दिल्ली में ठेला चालक है. गांव में 10 कट्टा जमीन है. फसल लगाकर दिल्ली चल जाते हैं.तीन माह के बाद कटनी करने आ जाते हैं.इनके सदृश्य दर्जनों लोग है जो यहां से पलायन कर जाते हैं.घर में महिलायें और बाल-बच्चे रह जाते हैं जिनको घर में शौचालय नहीं रहने के कारण खुले में जाकर शौचक्रिया करने जाना पड़ता है.
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