भोपाल, 12 दिसंबर, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि विश्वविद्यालयों को ज्ञान व कौशल के अलावा नागरिकता की शिक्षा देने पर ध्यान देना चाहिए। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में मंगलवार को यहा मध्य क्षेत्र के सात विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय की स्वायत्तता बरकरार रखने के लिए आवश्यकतानुसार उनका विस्तार करने की परिस्थितियां बनाई जाएंगी। विश्वविद्यालयों को ज्ञान और कौशल देने के अलावा नागरिकता की शिक्षा देने पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षित होने और संस्कारित होने में अंतर है। संस्कार के बिना प्रतिभा का दुरुपयोग भी हो सकता है। आदि शंकराचार्य और स्वामी विवेकानंद की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संस्कारों की शिक्षा देने के तरीकों पर भी विचार करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय रहे हैं, जो पूरे विश्व में विख्यात थे। आज सोचना पड़ेगा कि भारत के विश्वविद्यालय दुनिया के सौ शीर्ष विश्वविद्यालयों में कैसे शामिल हों। इसके लिए संकल्प और प्रतिबद्धता के साथ यह संभव है। समाज और सरकार दोनों को साथ-साथ प्रयास करने होंगे। युवा सशक्तिकरण मिशन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि युवाओं को रोजगार योग्य बनाने के लिए उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण देने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में 75 प्रतिशत अंक लाने वाले मेधावी विद्यार्थियों का चयन राष्ट्रीय संस्थानों में होने पर उनकी पढ़ाई का खर्च सरकार उठाएगी। चौहान ने दोहरी शिक्षा प्रणाली को घातक बताते हुए कहा कि सबको शिक्षा के सामान अवसर मिलने चाहिए, कुलपतियों की यह सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। प्राथमिक और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। आज सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी अच्छे अंकों से पास हो रहे हैं। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति सुनील कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालयों को सामाजिक सरोकारों से भी संपर्क रखने की आवश्यकता है। उद्योग क्षेत्र से भी निरंतर संपर्क जरूरी है।
मंगलवार, 12 दिसंबर 2017
विश्वविद्यालय नैतिकता की शिक्षा भी दें : शिवराज चौहान
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