मधुबनी । मिथिला का औद्योगिक विकास आजादी के बाद लगातार अवसान की ओर है। एक समद्ध इलका आज बेहद पिछड़ चुका है। रोजगार के अवसर ही नहीं हमारे आसपास की कई विधाएं भी समाप्त हो गयी हैं। यह बात आज जेएन कॉलेज में क्लब मधुबनी की ओर से आयोजित संगोष्ठि में प्रसिद्ध शोधकर्ता अवनिंद्र झा ने कही। श्री झा ने बहुत ही विस्तार से इस इलाके के कारोबार और विधाओं की जानकारी दी साथ ही उससे पैदा होनेवाले अवसर के संबंध में बताया। उन्होंने करीब दो सौं वर्षों के कारोबार और उद्योगों की चर्चा करते हुए बताया कि सूत, जूट और ईग के अलावा कई ऐसी विधाएं इस इलाके में मौजूद थी जो इस इलाके में न केवल रोजगार पैदा करती थी बल्कि इलाके की पहचान भी थी। श्री झा ने कहा कि पुरनिया से चंपारण तक का यह तिरहुत का इलाका आजादी के बाद लगातार पिछडता जा रहा है। बडे उद्योग ही नहीं बल्कि लघु और कुटिर उद्योग भी समाप्त हो चुके हैं। पलायन ने उन अवसरों को भी पैदा होने से पहले खत्म कर दिया जो इन कारोबार के खत्म होने के बाद कोई विकल्प के तौर पर पैदा होता।
बुधवार, 28 मार्च 2018
मिथिला : राज काल का समृद्ध करोबार स्वराज में नष्ट हुआ : अवनिंद्र
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