पटना 30 मार्च। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने पटना से प्रकाषित एक हिन्दी दैनिक में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के 23वें राज्य सम्मेलन से संबंधित छपे भ्रामक तथ्यों पर अपनी निम्नलिखित प्रतिक्रिया व्यक्त की है। यह खबर सरासर गलत है कि सम्मेलन के अवसर पर गठित पार्टी कमिटियों के बारे में कुछ लोगों की षिकायत है। राज्य सम्मेलन में प्रस्तुत सभी मुख्य दस्तावेज- राजनीतिक प्रस्ताव, राजनीतिक समीक्षा प्रतिवेदन और सांगठनिक प्रतिवेदन - सम्मेलन में सर्वसम्मति से कुछ संषोधनों के साथ पारित हुए। साथ ही इस अवसर पर गठित नयी राज्य परिषद, नया कंट्रेाल कमीषन, नयी राज्य कार्यकारिणी, नया आॅडिट कमीषन आदि के चुनाव भी सर्वसम्मति से हुए। इससे स्पष्ट है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बिहार में राजनीतिक एवं सांगठनिक रूप से पूरी तरह एकताबद्ध है। सम्मेलन में युवक प्रतिनिधियों का जहां तक संबंध है सम्मेलन में पारित प्रमाण-समिति के रिपोर्ट के अनुसार 20 से 45 वर्ष के वर्ग आयु के प्रतिनिधियों की संख्या 115 थी। इन्हें युवक नही ंतो और क्या कहा जाएगा?
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी वर्गीय विचारधारा वाली पार्टी है और वह मुख्यतः मजदूरों, गरीब किसानों, मध्यम किसानों एवं अन्य पेषे में लगे मिहनतकषों का प्रतिनिधित्व करती है। इस दृष्टि से देखें तो सम्मेलन में इनका सर्वाधिक प्रतिनिधि था। मजदूर प्रतिनिधियों की संख्या 113, गरीब किसान-277, तथा मध्यम किसान 146 थी अर्थात सम्मेलन के कुल 591 प्रतिनिधियों में से 536 मजदूर, गरीब किसान और मध्यम किसान के प्रतिनिधि थे। सम्मेलन में भाग लेने वाली महिला प्रतिनिधियों की संख्या 68 थी जिनमें 8 ने तो प्रतिनिधि के रूप में अपना पंजीयन तो कराया परंतु प्रमाण-समिति का फाॅर्म जमा नहीं कर सकी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यद्यपि वर्गीय विचारधारा वाली पार्टी है फिर भी भारतीय समाज की वास्तविकता को देखते हुए पार्टी के विभिन्न कमिटियों में दलितों आदिवासियों अल्पसंख्यकों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों महिलाओ एवं छात्रों युवकों को समुचित प्रतिनिधित्व देने के बारे में संकल्पित है। इस बार भी विभिन्न कमिटियों में इनको उचित प्रतिनिधित्व देने का भरपूर प्रयास किया गया है। राज्य परिषद एवं राज्य कार्यकारिणी में 20 प्रतिषत नये चेहरे को जगह दी गयी है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें