नयी दिल्ली, 29 मार्च, भारत और पाकिस्तान ने आज यहां स्थायी सिंधु आयोग की बैठक की और सिंधु जल संधि के तहत कई मुद्दों पर चर्चा की। सूत्रों ने आज कहा कि स्थायी सिंधु आयोग की114 वीं बैठक कल भी जारी रहेगी और इस दौरान भारत की कुछ पनबिजली परियोजनाओं के डिजायन पर पाकिस्तान की आपत्ति तथा संधि के तहत अन्य मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। भारत कहता आया है कि इन परियोजनाओं का डिजाइन दोनों देशो के बीच1960 में हस्ताक्षरित संधि के अनुकूल ही है। वार्ता में भारतीय शिष्टमंडल के सदस्य सिंधु जल आयुक्त पी के सक्सेना, विदेश मंत्रालय का एक प्रतिनिधि और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हुए। बैठक में पाकिस्तान के छह सदस्यीय शिष्टमंडल का नेतृत्व सैयद मुहम्मद मेहर अली शाह ने किया। यह बैठक राजनयिकों के कथित उत्पीड़न सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर दोनों देशों के बीच जारी तनाव की पृष्ठभूमि में हो रही है। स्थायी सिंधु आयोग मूलत: सिंधु जल संधि के तहत स्थापित एक व्यवस्था है जिसके तहत जल वितरण समझौते के कार्यान्वयन के लिए सहयोगात्मक व्यवस्था करना और उसे बनाए रखना तथा सिंधु जल प्रणालियों के विकास में दोनों पक्षों के बीच सहयोग को आगे बढ़ाना शामिल है। एक सूत्र ने कहा कि दोनों पक्षों ने नियमित एवं प्रशासनिक मुद्दों पर चर्चा की और बाढ डेटा सहित अन्य जानकारियां साझा कीं। परियोजनाओं से संबंधित मुद्दों पर कल चर्चा हो सकती है। पाकिस्तान ने चिनाब के बेसिन में स्थित भारत की रातले(850 मेगावाट), पाकल दुल(1000 मेगावाट) और लोअर कलनाई(48 मेगावाट) परियोजनाओं को लेकर चिंता जाहिर की है। उसका तर्क है कि इन परियोजनाओं से सिंधु जल संधि का उल्लंघन होता है। सिंधु जल संधि के तहत छह नदियों... व्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी का बंटवारा और बंटवारे संबंधी अधिकार आते हैं। स्थायी सिंधु आयोग की अंतिम बैठक मार्च2017 में इस्लामाबाद में हुई थी। संधि के अनुसार, स्थायी सिंधु आयोग की बैठक साल में कम से कम एक बार जरूर होती है। यह बैठक क्रमश: भारत में और फिर पाकिस्तान में, एक के बाद एक होती है।
गुरुवार, 29 मार्च 2018
भारत-पाक ने स्थायी सिंधु आयोग की बैठक की
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