पटना. मृत्यु पूर्व प्रभु येसु खीस्त ने अपने 12 शिष्यों के साथ के साथ भोजन किये. इसे परमप्रसाद माना गया. येसु ने एक पुरोहित की तरह परमप्रसाद का स्थापना किये.इस तरह पुरोहिताई व परमप्रसाद सामने आया.फिर अपने शिष्यों के पैर धोएं.जो विनम्रता का पराकाष्ठा साबित हुआ. बाद में यह गीत प्रचलित हुआ. मैंने प्रभु और गुरू होकर भी धोएं पैर तुम्हारे तूने भी धोना है सबके जो है भाई तुम्हारे, जी हां आज संसार भर में दोहराया गया. मृत्यु दिवस पुण्य शुक्रवार के पूर्व दिवस प्रथम मिस्सा पुण्य वृहस्पतिवार को विभिन्न चर्च में परमप्रसाद स्थापना दिवस के रस्म अदायगी की गयी.वहीं शिष्यों का पैर धोया गया. इस अवसर पर रोम में रहने वाले पोप फ्रांसिस ने कैदियों का पैर धोएं.कुर्जी चर्च परिसर में रहने वाले प्रिस्ट जोनसन ने महिला और पुरूषों का पैर धोएं.12 में फिफ्टी-फिफ्टी संख्या रही. बताते चले कि बेतिया धर्मप्रांत के बिशप बनने के बाद बिशप पीटर सेवास्टियन गोबियास ने बेतिया चर्च में 12 शिष्यों का पैर धोएं.नीतू सिंह ने बताया कि चुहड़ी पल्ली में फादर फिन्टन, फुलवारीशरीफ पल्ली में रेमण्ड ने शिष्यों का पैर धोएं.मोकामा से रोजवेल ने खबर दी है कि यहां के पुरोहित ने पैर धोएं.
शुक्रवार, 30 मार्च 2018
Home
बिहार
बिहार : रोम में रहने वाले पोप ने कैदियों का और कुर्जी चर्च परिसर में रहने वाले प्रिस्ट ने महिलाओं का पैर धोएं
बिहार : रोम में रहने वाले पोप ने कैदियों का और कुर्जी चर्च परिसर में रहने वाले प्रिस्ट ने महिलाओं का पैर धोएं
Tags
# बिहार
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
बिहार
Labels:
बिहार
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें