मेरे पास लगातार इस प्रकार के मामले आ रहे हैं, जिनमें अजा एवं अजजा के अधिकारी और सुपरवाईजर, अजा एवं अजजा के दु:खी एवं व्यथित लोगों के वैधानिक कार्यों में जानबूझकर रोड़ा अटकाते रहते हैं। उनके वैधानिक कार्यों को पूर्ण नहीं होने देते हैं। कथित रूप से अपने ही वर्ग के लोगों से रिश्वत की मांग कर रहे हैं। अनेक मामलों में कथित रूप से रिश्वत लिये बिना; उनके सही तथा वैधानिक कार्यों तक को नहीं करते हैं। अपने पद और पदस्थिति का दुरुपयोग करते हैं। उच्च अफसरों से शिकायत करने वाले व्यथित अजा/अजजा के लोगों का कार्य नहीं करते।
यहां यह सवाल उठता है कि संविधान के अनुच्छेद 16 के उप अनुच्छेद (4) में अजा/अजजा वर्गों का प्रशासन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व स्थापित करने के लिये अजा/अजजा वर्गों को नियुक्ति प्रदान करने हेतु आरक्षण प्रदान किया गया है। जिसके तहत तुलनात्मक रूप से और तकनीकी तौर पर मैरिट में पिछड़ने के बाद भी अजा/अजजा वर्गों के अभ्यर्थियों को सरकारी सेवाओं में नियुक्ति प्रदान की जाती हैं, जिससे कि वे अपने-अपने वर्गों का सही से प्रतिनिधित्व करते हुए अपने वर्गों के साथ इंसाफ कर सकें। बजाय इसके आरक्षित पदों चयनित अजा/अजजा वर्गों के उच्च पदस्थ अनेक लोक सेवक अपने ही वर्गों के व्यथित लोगों को उत्पीड़ित कर रहे हैं। मेरे पास अजा/अजजा वर्गों के ऐसे कई दर्जन लोगों की मय सबूत सूची उपलब्ध है। उनके बारे में व्यथित लोगों की ओर से मय सबूत यह जानकारी भी एकत्रित की जा रही है कि उनके द्वारा काली कमाई कैसे और कहां जमा की जा रही है? कथित रूप से इनके द्वारा महंगे तथा उच्च स्तरीय साजसज्जा से सुसज्जित आलीशान भव्य बंगले बनाकर शानोशौकत से परिपूर्ण जीवन जिया जा रहा है। इनके द्वारा अपने पैतिृक क्षेत्र में अपने या अपनी पत्नी या परिजनों या रिश्तेदारों के नाम से कार, ट्रेक्टर, ट्रक, बस, चांदी-सोना, जमीन तथा अन्य चल-अचल सम्पत्तियां खरीदी-बेची और उपभोग की जा रही हैं और करोड़ों रुपये ब्याज पर चलाये जा रहे हैं। इनके द्वारा अपने परिजनों या रिश्तेदारों के नाम से अपने ही नियंत्रणाधीन ठेकेदारी करवायी जा रही हैं। जिनके बिल ये खुद ही पास करते हैं। इनकी संतानें महंगे स्कूल/कॉलेज/कोचिंग इंस्टीट्यूट्स में स्टेडी करके आरक्षण का लाभ उठा रही हैं। जिनका सरकारी सेवा में चयन होने पर, अजा/अजजा वर्ग के व्यथित लोग किसी प्रकार के वैधानिक सहयोग की उम्मीद कर सकते हैं?
जानकारी यह भी है कि इन कथित भ्रष्ट लोक सेवकों द्वारा चुनाव के वक्त राजनेताओं को मोटी रकम अदा की जाती है। अत: इन्हें राजनेताओं का भी संरक्षण मिलता रहता है। इस कारण इनको आमजन की कोई परवाह नहीं रहती है। ऐसे ही लोगों के कारण आरक्षित वर्गों के वंचित तबके की ओर से अकसर क्रीमीलेयर की आवाज उठायी जाती है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस प्रकार के कथित भ्रष्ट लोग, जिन्हें अपने ही वर्ग और यहां तक कि अपनी ही जाति तक के पीड़ित लोगों के हकों तथा दु:खों की की परवाह नहीं है, इनके काले कारनामों को उजागर करके क्या इन्हें कानूनी शिकंजे में लाना जरूरी नहीं? या इनका कोई दूसरा इलाज संभव है?
ध्यान रहे इन लोगों में कथित रूप से आईएएस, आईपीएस, आरएएस, आरपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर्स, इंस्पेक्टर्स, सुपरवाईजर्स, पुलिसकर्मी, एक्साइज, बैंक, जंगलात, आदि विभागों में पदस्थ अजा/अजजा के लोक सेवक शामिल हैं। जो आपस में एक-दूसरे के सपोर्ट या संरक्षण प्रदान करते रहते हैं!
डॉ. पुरुषोत्त्म मीणा 'निरंकुश'
राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन
संपर्क : 9875066111/06.03.2018
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