चण्डी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा का हाल है. एक ऐसा विघालय है,जहां 10 साल से शौचालय अधूरा पड़ा हुआ है.फिल्म शौले के एक डायलॉग की तरह पूछा जा रहा है कि यह कैसा विघालय है भाई? इस प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी व प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ही प्राथमिक विघालय, सिंदुआरा की सुधि ले रहा हैं.इसका दुष्परिणाम टीचर और स्टूडेंट्स पर पड़ रहा है. सीएम नीतीश कुमार की जन्म-स्थली प्रखंड हरनौत सीमांत से सटे चण्डी प्रखंड है.इस प्रखंड के महकार पंचायत में है सिंदुआरा गांव.इस गांव में है प्राथमिक विघालय, सिंदुआर.यहां की प्रधानाध्यापिका हैं बच्ची कुमारी.ये सिंदुआरा में ही रहती हैं.यहां पर डिम्पल कुमारी व सुबोध कुमार. यहां की प्रधानाध्यापिका कहती हैं कि मुखिया जी के फंड से सेप्टिटेक बाथरुम तैयार किया गया.राशि के अभाव में शौचालय अधूरा पड़ गया.वे यहां 1983 से कार्यशील हैं.अब तो अवकाश ग्रहण करने वाली हैं.काफी मिन्नत आरजू करने के बाद मुखिया जी शौचालय निर्माण करवाये.बनते-बनते पैसा कम हो गया और काम ठप पड़ गया.इसके बाद बीडीओ साहब के पास गुहार लगाये.10 साल से अधूरा पड़ा है. छात्रों ने कहा कि हमलोग 2 नम्बर (मल-त्याग)करने पोखर के किनारे,खेत में आदि जगहों में जाते हैं.मेडम डिम्पल कुमारी जी प्रधानाध्यापिका के घर चल जाती हैं.घंटों बाद आती हैं.इससे पढ़ाई बाधित होती है.
बताते चले कि 2 अक्टूबर,2019 तक स्वच्छ भारत निर्माण करना है.इसके आलोक में केंद्र सरकार के द्वारा स्वच्छ भारत मिशन और बिहार सरकार के द्वारा लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान सफलतापूर्ण संचालित है. इसके आलोक में परमार्थ निकेतन के संचालक स्वामी चितानंद सरस्वती महाराज जी के अथक प्रयास से हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि धर्माधिकारियों के सहयोग से ग्लोबल इंटरफेथ वास एलायंस जीवा का गठन किया है. इस समय जीवा के द्वारा स्वच्छता क्रांति रथ से स्वामी चितानंद जी का संदेश लोगों तक पहुंचाया जा रहा है. संदेश में मुख्यत: स्वच्छ जल पीने व खुले में शौच नहीं करने का है. पटना जिले के शहरी क्षेत्र दीघा में, इसी जिले मोकामा प्रखंड, सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के हरनौत प्रखंड,राजगीर प्रखंड ,बिन्द प्रखंड और चण्डी प्रखंड के गांवों में वास एण्ड व्हील के सहयोग से स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. संदेश सुनने वाले लोगों ने कहा कि जीवा के द्वारा नोबल कार्य किया जा रहा है.ऐसे में परमार्थ निकेतन के संस्थापक स्वामी चितानंद सरस्वती महाराज जी को नोबल पुरस्कार देकर सम्मानित करना वक्त की मांग है.
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