पटना 09 अप्रैल., बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती पर अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) अधिनियम को कमजोर बनाने का आरोप लगाते हुये आज कहा कि ऐसा करने वाले ही इस अधिनियम की आड़ में हिंसा भड़काने में आगे हैं। श्री मोदी ने यहां कहा, “जिस मायावती ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में दुरुपयोग के आधार पर दो-दो आदेश निकाल कर एससी-एसटी अधिनियम को शिथिल कर दिया था आज केन्द्र सरकार पर आरोप मढ़कर हिंसा भड़का रही हैं।” उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि इस मामले में केंद्र सरकार ने नहीं बल्कि उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था। केन्द्र सरकार ने तो अधिनियम को और अधिक कठोर बनाने के लिए वर्ष 2016 में संशोधन किया था। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2007 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने के एक सप्ताह के भीतर सुश्री मायावती ने पहला और कुछ महीने बाद दूसरा आदेश निकाल कर न केवल एससी-एसटी अधिनियम को शिथिल किया था बल्कि यह स्वीकार भी किया था इस अधिनियम का दुरुपयोग हो रहा है।
भाजपा नेता ने कहा कि सुश्री मायावती की तत्कालीन सरकार में मुख्य सचिव रहे श्री शंभुनाथ की ओर से मई 2007 को जारी आदेश में कहा गया था कि एससी-एसटी अधिनियम का दुरुपयोग कर निर्दोष लोगों को फंसाया जा रहा है उन्होंने कहा था कि इसलिए केवल शिकायत दर्ज होने पर कार्रवाई करने की बजाय जांच में प्रथमदृष्टया दोषी पाये जाने पर ही गिरफ्तारी की जाए। श्री मोदी ने कहा कि मायावती सरकार के 29 अक्टूबर 2007 को जारी दूसरे आदेश में यह निर्देश दिया गया था कि हत्या और बलात्कार के गंभीर मामलों के अलावा अपराध के छोटे-मोटे मामले को भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किया जाए। दुष्कर्म के मामले में भी मेडिकल जांच में प्रथमदृष्टया आरोप की पुष्टि होने के बाद ही एससी-एसटी अधिनियम में मामला दर्ज किया जाए। साथ ही यदि यह पाया जाता है कि कोई इस कानून का दुरुपयोग कर रहा है तो धारा 182 के तहत उसको दंडित किया जाए। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उच्चतम न्यायालय के फैसले को आधार बना कर सुश्री मायावती की पाटी बहुजन समाज पार्टी और अन्य विपक्षी पार्टियां केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार पर आरोप लगा रही है तथा इस मुद्दे पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को गुमराह कर हिंसा भड़का रही है।
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