नयी दिल्ली, 10 अप्रैल, उच्चतम न्यायालय के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्ती चेलमेश्वर ने एक बार फिर कॉलेजियम व्यवस्था में ज्यादा पारदर्शिता लाने की वकालत करते हुए कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत होने के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के प्रदर्शन के बजाय उनके प्रति आम धारणाओं पर ध्यान दिया जाता है। न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ‘अप्वाइंटमेंट ऑफ जजेज टू द सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया : ट्रांसपेरेंसी, एकाउंटेबिलिटी एंड इनडिपेन्डेंस’ किताब के विमोचन के अवसर पर सोमवार देर शाम आयोजित एक चर्चा के दौरान कहा कि कॉलेजियम की बैठकों में किसी नाम पर विचार करते वक्त आकलन की प्रकृति थोड़ी ज्यादा पारदर्शी होनी चाहिए। उन्होंने ‘द इंडियन हायर ज्यूडिशरी: इश्यूज एंड प्रोस्पेक्ट्स’ विषयक पैनल चर्चा में कहा कि चयन प्रक्रिया में शामिल प्राधिकारों को आगे आने वाली समस्याओं को खत्म करने के लिए और अधिक पारदर्शिता के वास्ते प्रयास करना चाहिए। न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की स्थानांतरण नीति पर सवाल उठाते हुए बदलाव की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि किसी स्थानीय न्यायालय को इसलिए उस राज्य के उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नहीं बनाया जाता है, क्योंकि वह स्थानीय मसलों से प्रभावित होगा। उन्होंने कहा, “अगर यही आधार है, तो मुख्यमंत्रियों के भी तबादले होने चाहिए।” न्यायमूर्ति चेलमेश्वर के नेतृत्व में ही शीर्ष अदालत के तीन अन्य न्यायाधीश गत वर्ष दिसम्बर में एक प्रेस कांफ्रेंस करके मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के कामकाज के तरीके और अन्य न्यायाधीशों को आवंटित किये जाने वाले न्यायिक कार्यों अर्थात् रोस्टर व्यवस्था पर सवाल खड़े किये थे।
बुधवार, 11 अप्रैल 2018
चेलमेश्वर ने फिर की कॉलेजियम में पारदर्शिता की वकालत
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