पिछले सप्ताह मैं नालंदा जिले के बिहारशरीफ मुख्यालय में ही घटों था। वहां एसडीओ बिहारशरीफ और हिलसा एसडीओ से कार्यालय में औपचारिक तौर पर घंटा भर रुका-उनसे बातचीत हुई। उसके बाद मैं जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में एक बाद के सिलसिले में घंटो रहा। डीएसपी बिहारशरीफ हेडक्वार्टर में काफी देर रुका। वहां पदस्थ पुलिस कर्मियों से, काफी चर्चाएं हुई। एसपी कार्यालय के समीप जिले के कई थाना प्रभारियों से नजरें भी मिली। जिस समय जिला खनन पदाधिकारी से बात कर रहे थे, उस समय राजगीर एसडीओ भी बगल के खुले कमरे में थे। मैंने उससे जुड़े कई सेल्फी भी सोशल ग्रुपों में डाले। उस ग्रुप में राजगीर थाना प्रभारी, डीएसपी, एसआईटी बना भेजे गये एसआई कमलजीत आदि प्रायः पुलिस-प्रशासन के लोग भी जुड़े हैं। सब जानते थे कि मैं उस समय बिहारशरीफ में हूं। तो फिर विना वारंट रांची आकर मुझे उठा ले जाने का क्या औचित्य है। खास कर उस परिस्थिति में जब मैंने कथित एसआईटी संग आये उस अनुसंधानकर्ता हृदय प्रसाद की उस बातचीत के ऑडियो भी नालंदा एसपी, राजगीर डीएसपी, बिहारशरीफ डीएसपी हेडक्वार्टर को भेजे थे...जिसमें खुद अनुसंधानकर्ता ने स्वीकार किया था कि मेरे खिलाफ राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि के प्रशासनिक तौर पर चिन्हित एक अतिक्रमणकारी शिकायतकर्ता ने थाने में बैठकर थाना प्रभारी के सामने पहले धमकी दी औऱ फिर फर्जी एफआईआर किया गया।
बहरहाल मैं भयभीत नहीं हूं, काफी मर्माहत हूं। नालंदा जैसे सीएम नीतिश के गृह जिले में पुलिस की ऐसी उच्श्रृंख्ल आचरण की कल्पना तक नहीं की थी।..नीतिश जी यदि आपकी यही सुशासन है..जीरो टॉलकेंस की नीति है..तो आपके भ्रम को सलाम। अभी भी संभालिये अपने वेलगाम तंत्र को..अन्यथा कभी आपसे प्रभावित होकर जब हम जैसे युवाओं के पसीने आपको सड़क से सीम की कुर्सी तक पहुंचा सकते हैं...तो फिर आगे सिर्फ समझने वाली बात है, क्योंकि हम किसी दल के कार्यकर्ता नहीं हैं...एक सीधा साधा आम भारतीय है...जिसके जुनून का अंदाजा आपको भी है..
जय मां भारती
मुकेश भारतीय
संचालक-संपादक
राजनामा डॉट कॉम
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