बकिया.किसान खुद से खेती नहीं करते हैं.किसी को किसान 'भरना' पद्धति से 70 हजार रू.में 3 साल खेती करने के लिये 12 कट्टा खेत दे देता हैं. मगर किसान फसलमारी का मुआवजा भी गटक जाता है.इस साल मक्का में बेहतर ढंग से दाना ही नहीं आया है. ये हाल है बकिया पंचायत के बकिया पश्चिमी मुसहरी टोला में रहने वाले चौकीदार लटकन ऋषि के पुत्र मंटु ऋषि.बताते हैं कि मुसहरी टोला में मंटु ऋषि ही सबसे पहले 2001 में मैट्रिक पास किये.इनका दो पुत्र हैं ज्येष्ठ पुत्र अमीत कुमार हैं मैट्रिक में असफल हो गये .दूसरा समीत कुमार हैं जो 2019 में मैट्रिक की परीक्षा देंगे. मंटु ऋषि कहते हैं कि बहुत कष्ट से मैट्रिक पास किए.पत्नी सुनीता देवी और 2 बच्चों की देखभाल व खर्चा जुटाने के साथ ही पढ़ाई जारी रखें.यह दुर्भाग्य रहा कि मैट्रिक पास होने के विकास मित्र का पद महिला आरक्षण में तब्दील हो गया.टोला सेवक मेरे अजीज मित्र संजीत मेहतर को मिल गया.विकास मित्र व टोला सेवक हाथ में नहीं आने से निराश नहीं हुआ.दो हाथों पर यकीन करके मजदूरी करने लगे.बुंदबुंद की तरह पैसा संग्रह करके 70 हजार रू.किसान को 'भरना' देकर 3 साल के लिये खेत लिये हैं. ' भरना' के बारे में मंटु बतलाते हैं कि मैंने किसान को 70 हजार रू. दिये.उसने 3 साल के लिये 12 कट्टा खेत दिया.अभी 12 कट्टा में मक्का रोप दिया.अब 6 कट्टा में भदई मक्का और उतने में ही धान रोप देंगे.यह सिलसिला 3 साल तक जारी रहेगा.3 साल के बाद किसान को पेशगी 70 हजार रु.लौटाना है ,अगर किसान पेशगी नहीं लौटाता है तबतक मैं खेती करता रहुंगा.किसान उक्त राशि को व्याज पर ऋण देने में लगाता है.पंजाब व दिल्ली जाने से बेहतर है कि खेती में काम करों.मगर मंटु को अखड़ता है जब फसलमारी का मुअावजा किसान निगल जाता है. नीतीश सरकार ने भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष की अनुशंसा लागू ही नहीं की.खामियाजा भुगत रहे हैं.किसान पुरूषों को ढाई सौ और महिलाओं को डेढ़ सौ मजदूरी देते हैं.
गुरुवार, 26 अप्रैल 2018
बिहार : किसान को 70 हजार दिये हैं बदले में 3 साल खेती करने लिये 12 कट्टा खेत मिला
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