मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क), 10 घंटे की हवाई यात्रा फिर ट्रेन के 15 घंटे और फिर सड़क मार्ग के 6 घंटे कुल मिलाकर ऐसी यात्रा जिसमे आपको पता होता है की जो सामान्य जीवन शैली आपकी है उससे विपरीत जीवन शैली को आप 15 दिनों के लिए जीने वाले हैं, सोचिये कितना रोमांचक होता होगा ये अनुभव .... मधुबनी के सौराठ गाँव में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलोजी सिडनी – UTS के 12 छात्रों का समूह प्रोफेसर नैथन विल्सायर, कैथरीन वाल्स एवं लॉरा विल्सायर के नेतृत्व में ग्रामीण परिवेश को समझने और इसे जीने के लिए आये l इस टीम में मुख्यतः सभी छात्र-छात्राएं मेडिकल क्षेत्र से सम्बंधित थे l 15 दिन का प्रवास पहले से बने हुए कार्यक्रम पर आधारित थी, इन पन्द्रह दिनों में ग्रामीण चिकित्सा,आय-उपार्जन के तरीके,संस्कृति,मिथिला पेंटिंग एवं महिलाओं के जीवनशैली को रोजगारपरक बनाने के उपायों पर सबसे अलग-अलग बैठक करके समझने का प्रयास किया जाता है एवं अंतिम दिन जिन विषयों पर बीते दिनों मे चर्चा की गयी होती है उन विषयों पर सभी छात्र मिलकर विभिन्न योजनायें बनाकर ग्रामीणों से सलाह लेकर उसे कार्यान्वित करने के लिए दृष्टि फाउंडेशन को अग्रसारित करते हैं l इस वर्ष महिलाओं के जीवनशैली को रोजगारपरक बनाने हेतु कई कुटीर उद्योग पर विचार किया गया जिसे आने वाले दिनों मे कार्यान्वित किया जायेगा l इस प्रकार के कार्यक्रम कंही न कंही भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के मधुर संबंधों को दर्शाता है l इस कार्यक्रम का सञ्चालन दृष्टि के जोनल हेड ग्रुप कैप्टेन इंदुभूषण ठाकुर एवं बिहार के स्टेट हेड राजीव रंजन दास ने किया l
शुक्रवार, 13 अप्रैल 2018
मधुबनी : ऑस्ट्रेलिया एवं भारतीय ग्रामीण परिवेश
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