पटना. लोकतंत्र में चार मजबूत स्तंभ है. कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका और पत्रकारिता. सर्वविदित है कि इन चारों क्षेत्रों में संख्याओं की हिसाब से अल्पसंख्यक हैं ईसाई समुदाय . संविधान में उल्लेखित है कि लोक सभा,राज्य सभा,विधान सभा और विधान परिषद में एंग्लो इंडियन समुदाय से एक व्यक्ति का मनोनित होंगे.जो बिहार और झारखंड के बाद 2000 के बाद बिहार विधान में किसी को मनोनीत नहीं किया जा रहा है.इसके पीछे भी संख्या ही है. संविधान में समता का अधिकार दिया गया है. स्वैच्छा से धर्म अंगिकार करने का अधिकार है. मुस्लिम व ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले दलितों को एससी आरक्षण से महरूम कर दिया जाता है.पिछड़ी जाति में आ जाते हैं.विधायिका में संख्या कम होने के कारण कानून में परिवर्तन नहीं कर पाते हैं. संपूर्ण ज्वलंत मुद्दों को ध्यान में रखकर अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ के सचिव एस.के.लौरेंस ने देशभर में बी.जे.पी. के ईसाई मंत्री, प्रतिनिधि, ईसाई नेतागण, सदस्यगण तथा बी.जे.पी. के प्रसंशक चंद धर्मगुरु जी,कृपया यह बताने का कष्ट करें कि दिनांक 13 अप्रैल 2018 के दिन बी.जे.पी. के वरिष्ठ नेता तथा देश के कानून मंत्री माननीय श्री रवि शंकर प्रसाद जी द्वारा दलित आरक्षण पर दिए गए उपरोक्त वक्तव्य पर क्या राय रखते हैं ?
रविवार, 15 अप्रैल 2018
बिहार : संख्याओं में अल्पसंख्यक
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