न्यू इंडिया रत्न बने पीएसयू : मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 9 अप्रैल 2018

न्यू इंडिया रत्न बने पीएसयू : मोदी

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नयी दिल्ली 09 अप्रैल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसई) के योगदान के रेखांकित करते हुये आज कहा कि देश की सरकारी नवरत्न कंपनियों को नये भारत में न्यू इंडिया रत्न कंपनी बनने की ओर बढ़ना चाहिए और कार्पोरेट गवर्नेस पर जोर देकर संसाधनों का सही उपयोग करना चाहिए। श्री मोदी ने सीपीएसई के आज यहां आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि केन्द्र सरकार ने सरकारी कंपनियों को परिचालनात्मक आजादी है जिससे उनके प्रदर्शन में सुधार हो सके। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पीएसयू ने देश की अर्थव्यवस्था और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान किया है। उन्होंने कहा कि सरकारी उपक्रमों के लिए लाभ कमाने के साथ ही सामाजिक कल्याण करना भी आवश्यक है।  प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकारी उपक्रमों के ही इस साहस का नतीजा है कि सरकार बड़े-बड़े फैसले ले पाने में सक्षम है, फिर वे चाहे देश के हर गांव में बिजली पहुंचाने की बात हो या फिर देश की हर गरीब माता-बहन की रसोई तक एलपीजी कनेक्शन पहुंचना। इन संस्थानों से जुड़े लाखों कर्मचारियों के परिश्रम के बिना ये संभव नहीं था।  श्री मोदी ने वर्ष 2022 तक नये भारत के निर्माण के लिए सरकारी उपक्रमों के लिए पांच चुनौतियां तय करते हुये कहा कि निजी क्षेत्र हो या फिर सरकारी उपक्रम सफलता के लिए अलग-अलग मंत्र नहीं होते। सफलता के लिए थ्री आई इंसेंटिव्स, इमेजिनेशन और इंस्टीट्यूशन बिल्डिंग है। उन्होंने कहा कि आज के समय में कोई भी निजी कंपनी दो दशक से अधिक समय तक नहीं टिक पाती है। इसका सबसे बड़ा कारण है आने वाले बदलाव, टेक्नोलॉजी में होने वाले बदलाव के हिसाब से खुद को न:न ढाल पाना। यहीं लीडरशिप और इमेजिनेंशन काम आती है। आज डाइवसिफिकेशन और डिस्ट्रप्शन की अहमियत बढ़ गई है। उन्होंने कहा,“तीसरा आई यानी इंस्टीट्यूशन बिल्डिंग में लीडरशिप का सबसे अहम परीक्षण होता है। एक ऐसी टीम का निर्माण जो व्यवस्था केंद्रित हो। व्यक्ति केंद्रित और व्यक्ति आधारित व्यवस्थाएं लंबे समय तक नहीं चल पातीं। उन्होंने सार्वजनिक उपक्रम को तकनीकी और प्रक्रियाओं में बदलाव के जरिये न्यू इंडिया रत्न बनने की अपील करते हुये कहा कि आज तक हम इन उपक्रमों को नवरत्न के रूप में वर्गीकृत करते रहे हैं लेकिन अब वक्त आ गया है जब हम इससे आगे की सोचें। क्या हम न्यू इंडिया रत्न बनाने के बारे में नहीं सोच सकते। ”

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