पटना, 08 अप्रैल, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार से अनुसूचित जाति (एससी) के लिए लोकसभा और विधानसभा की आरक्षित सीटों पर केवल इस वर्ग से आने वाले लोगों को वोट देने के लिए कानून बनाने की मांग की है। श्री मांझी ने आज यहां ऐतिहासिक गांधी मैदान में पार्टी की ओर से आयोजित गरीब महासम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार समेत देश के कई राज्यों में विधान परिषद् है। विधान परिषद में स्नातक और शिक्षकों के लिए आरक्षित सीटों पर केवल इस क्षेत्र से आने वाले लोगों को मत देने का अधिकार है। इसी आधार पर लोकसभा और विभिन्न राज्यों की विधानसभा क्षेत्रों में अनुसचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर केवल इस श्रेणी के लोगों को अधिकार मिलना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “ हम नरेन्द्र मोदी सरकार से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों के लिए अलग मतदाता सूची बनाने के संबंध में कानून बनाने की मांग करते हैं। केवल ऐसी व्यवस्था कर अनुसूचित जाति के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित किया जा सकती है। ”
श्री मांझी ने कहा कि यह अक्सर देखा जाता है कि सामान्य श्रेणी के मतदाताओं के नाम कई जगहों पर मतदाता सूची में शामिल होते हैं। एक मूल स्थान, दूसरा जहां वह बसे हुए होते हैं और तीसरा वैसे जगहों पर भी जहां वे पहले रह चुके हैं। ऐसे स्थिति में सामान्य वर्ग के मतदाताओं की वास्तविक संख्या उनके वास्तविक प्रतिशत से बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि सामान्य श्रेणी के लोग इस तरह की विसंगतियों का फायदा उठाते हैं। हम अध्यक्ष ने कहा कि अनुसूचित जाति की श्रेणी से आने वाले लोगों के मामले में ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें वास्तविक मतदाता के नाम ही मतदाता सूची से गायब होते हैं। उन्होंने मतदाता सूची को आधार संख्या से जोड़ने की मांग करते हुए कहा कि आधार संख्या और मतदाता सूची के जुड़ने से जहां अलग-अलग जगहों पर एक ही मतदाता के विभिन्न मतदाता सूची में शामिल होने पर रोक लगेगी, वहीं दूसरी तरफ निष्पक्षता बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।
श्री मांझी ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को लेकर उच्चतम न्यायालय के हालिया दिशा निर्देशों पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि अदालत के हालिया फैसले के बाद नये परिदृश्य में अब इस अधिनियमत के तहत आने वाले मामलों में पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी की जांच बिना किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा। ऐसी स्थिति में इस अधिनियम का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के अधिकारों के संरक्षण को लेकर कोई चिंता नहीं है। उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद केन्द्र द्वारा दाखिल पुनर्विचार याचिका पर्याप्त नहीं थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि मोदी सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को लेकर यदि वास्तव में गंभीर है तो संसद का विशेष सत्र बुलाकर संविधान की नवमीं अनुसूची में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) को शामिल करना चाहिए।
श्री मांझी ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने काफी समय पहले केन्द्र सरकार से सामाजिक-आर्थिक आधार पर जातिगत जनगणना (एसईसीसी) के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग की थी जिससे देश में विभिन्न जातियों की आबादी और उनकी स्थिति के बारे में पता किया जा सके। उन्होंने कहा कि राजद सुप्रीमों ने एकदम सही मांग रखी थी और केंद्र सरकार को बिना समय व्यर्थ किये तत्काल एसईसीसी के आंकड़ों को सार्वजनिक कर देना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों की तर्ज पर अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं में सीटें आरक्षित होनी चाहिए। अन्य पिछड़ा वर्ग को केवल सरकारी सेवाओं में आरक्षण देना ही पर्याप्त नहीं है। श्री मांझी ने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर लालू प्रसाद यादव को परेशान करने के लिए केन्द्रीय जांच ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग जैसी केन्द्रीय जांच एजेंसियों के दुरूपयोग का आरोप लगाया और कहा कि इससे यह साबित हो गया है कि राजद अध्यक्ष भाजपा के षड्यंत्र का शिकार बन गए है। हम नेता ने शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि शराबबंदी एक अच्छा कदम है लेकिन इसका दुरुपयोग गरीबों को फंसाने में किया जा रहा है। शराबबंदी को लेकर बने कानून के तहत अधिकतर गरीबों एवं दलितों को गिरफ्तार किया गया है।
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