किशनगंज 09 अप्रैल,केंद्रीय मा नव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने आज कहा कि अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) अधिनियम पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ देशभर में लोगों की प्रतिक्रिया लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है। श्री कुशवाहा ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि एससी-एसटी अधिनियम पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ देशभर में लोगों की प्रतिक्रिया लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है। उन्होंने कहा कि इससे कहीं न कहीं लोगों के मन में न्यायपालिका के प्रति विश्वास का कम होना प्रतीत होता है। हाल के दिनों में और भी कुछ निर्णय हुए हैं जिससे लोगों के मन में असंतोष पैदा हुआ है। इसका सबसे बड़ा कारण उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय में समाज के सभी वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं होना है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चाय बेचनेवाला देश का प्रधानमंत्री बन सकता है। मजदूर का बच्चा जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक बन सकता है लेकिन मेधा हाेने के बावजूद गरीब का बच्चा कभी उच्च एवं उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश बनने की सोच भी नहीं सकता क्योंकि न्यायाधीश बनने के लिए कुछ लोगों की अनुशंसा की जरूरत होती है। श्री कुशवाहा ने कहा कि आज जो बहाली की प्रक्रिया है उसमें एससी, एसटी, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की बात तो दूर गरीब ब्राम्हण परिवार का नौजवान चाहे कितना ही मेधावी क्यों न हो उसके लिए भी दरवाजे बंद हैं। यह लोकतंत्र के हित में है कि न्यायपालिका में सभी वर्ग का प्रतिनिधित्व हो। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी उच्च न्यायपालिका की इस स्थिति पर चिंता जता चुके हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने प्रयास किया कि बहाली की वर्तमान प्रक्रिया में बदलाव किया जाए लेकिन उच्चतम न्यायालय ने उसे नहीं माना। उन्होंने कहा कि उनका सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह है कि यदि सरकार का निर्णय मंजूर नहीं है तो खुद ही उनके द्वारा ऐसी व्यवस्था की जाए ताकि सामान्य परिवार का बच्चा भी उच्च एवं उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश बन सके। श्री कुशवाहा ने कहा कि इसके लिए उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने ‘हल्ला बोल-दरवाजा खोल’ कार्यक्रम चलाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत पहले चरण में दिल्ली सहित राज्यों की राजधानी में सेमिनार एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। दूसरे चरण में जन अभियान चलाया जाएगा। केंद्रीय मंत्री राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद् द्वारा आयोजित पुस्तक मेले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बारे में भ्रामक जानकारी देनेवाली एक किताब की कथित बिक्री किए जाने और उसपर संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा आक्रोश व्यक्त किए जाने के सवाल पर कहा कि किताब में लेखक का निजी विचार हो सकते हैं। लोकतंत्र में इसे रोका नहीं जा सकता।
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