पटना 09 अप्रैल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पर्यावरण के साथ हो रही छेड़छाड़ के प्रति चिंता प्रकट करते हुये कहा कि यदि इसके प्रति लोगों को जागरूक नहीं किया गया तो भविष्य में इसका परिणाम भुगतना होगा। श्री कुमार ने यहां ‘ग्लोब पर विज्ञान’ प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के बाद आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि आज जो पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ हो रही है, यदि लोगों को जागरूक नहीं किया गया तो भविष्य में इसका परिणाम भुगतना होगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की शुद्धता के लिए जागृति पैदा करनी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें खुशी है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के चंपारण सत्याग्रह का शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है। गांधी जी ने सत्याग्रह के साथ ही स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं शिक्षा की बात की और उसके प्रति लोगों को जागृत भी किया। महात्मा ने कहा था कि कि धरती हमारी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है लेकिन लालच को पूरा नहीं कर सकती है। लालच पर्यावरण को नष्ट कर रहा है इसलिए बहुत जरुरी है कि पर्यावरण के बारे में युवा पीढ़ी का जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को सुरक्षित एवं संरक्षित करने के बारे में छात्र-छात्राओं को इस ग्लोब के माध्यम से देखने-समझने का मौका मिलेगा कि किस प्रकार कार्बन डाईआॅक्साइड अमेरिका से लेकर यहां तक के पर्यावरण को बर्बाद करेगा।
श्री कुमार ने कहा कि झारखंड के अलग होने के बाद बिहार में हरित क्षेत्र नौ प्रतिशत से कम था। लेकिन पिछले 12 वर्षों से उनकी सरकार के प्रयासों की बदौलत बिहार में वर्षापात 800 मिलीमीटर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि बिहार एक ऐसा प्रांत है, जो बाढ़ और सूखा दोनों का दंश झेलता है। सबसे बड़ी बात यह है कि राज्य में बाढ़ बाहर की नदियों से आती है। गंगा नदी उत्तराखंड से निकलती है, सोन नदी मध्यप्रदेश से, कोशी और गंडक नेपाल से निकलती है। बरसात में इन नदियों में पानी के बहाव के साथ गाद जमा होने की वजह से यहां समस्या उत्पन्न हो जाती है। अभी दो साल पहले गंगा नदी में आयी बाढ़ के कारण गंगा किनारे अवस्थित 12 जिले प्रभावित हुए थे। यदि पानी का दबाव और बढ़ता तो पटना में पानी आ जाता। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में आबादी का घनत्व अधिक है। 17 प्रतिशत से ज्यादा हरित आच्छादन नहीं किया जा सकता है। सरकार ने तय किया कि सबसे पहले 15 प्रतिशत हरित आवरण के लक्ष्य को प्राप्त करें। इसको लेकर सर्वेक्षण जारी है और उम्मीद है कि यह 17 प्रतिशत हो जाएगा। हरित आवरण बढ़ने से वर्षापात बढ़ेगा, रेन फॉल न घटे इसके लिए पर्यावरण के प्रति बच्चों के बीच जागृति पैदा करने की जरुरत है। श्री कुमार ने कहा कि पृथ्वी निरंतर सूर्य की परिक्रमा करती रहती है लेकिन हमें यह पता भी नहीं चलता है कि पृथ्वी घूम रही है। यह सब कुदरत का कमाल है कि मनुष्य और अन्य जीव जन्तु के पैर में प्रकृति ने ताकत दी है, जो वह आराम से खड़े होकर चलते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता है कि पृथ्वी चक्कर काट रही है। इन चीजों के बारे में चिंता करना सबके लिए स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि प्रकृति को गहराई से समझना होगा। आज की युवा पीढ़ी पानी के उपयोग एवं संरक्षण के लिये जागरूक हुई है। पानी की बेवजह बर्बादी से परहेज कर रही है। पुराने लोग भले ही गलती कर लें लेकिन आज की पीढ़ी इन चीजों को बाखूबी समझ रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि आज पर्यावरण की रक्षा नहीं की गई तो आने वाली पीढ़ी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। यदि हम सहेज नहीं पाएंगे तो आने वाली पीढ़ी को तो बहुत कुछ देखने को नहीं मिलेगा। उन्होंने गंगा की अविरलता और निर्मलता को लेकर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि पहले इस नदी का पानी कितना स्वच्छ और निर्मल था। आज इसकी क्या हालत हो गई है। अब गंगा नदी का पानी पीने लायक नहीं बचा है। श्री कुमार ने कहा कि आपदा की स्थिति से निपटने के लिये लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भूकंप से किसी की मौत नहीं होती बल्कि भूकम्प में ढहने वाले मकानों के मलबे में दबकर लोगों की मौत हो जाया करती है इसलिए राज्य सरकार अन्य देशों की तरह यहां भी भूकंपरोधी भवनों का निर्माण करवा रही है। उन्होंने कहा कि जापान में सबसे अधिक भूकंप आता है लेकिन इस देश ने स्वयं को उसके अनुरूप ढाल लिया है। इसी तरह अब बिहार भी जागरूक हो गया है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर ‘साइंस आॅन ए स्फियर’ विवरणिका का विमोचन किया। कार्यक्रम को पटना विश्वविद्यालय के कुलपति रासबिहारी सिंह और राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद् के महानिदेशक ए. डी. चैधरी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति आर. के. सिन्हा, बीआईटीएम कोलकाता के निदेशक ई. इस्लाम, बीआईटीएम कोलकाता के क्यूरेटर एस. दास, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति, शिक्षाविद् एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें